बिहार: मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद बिहार में जेडीयू ने कांग्रेस के विधायकों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. जेडीयू के नेता और नीतीश सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था कि इस बार बजट सत्र के बाद राज्य सभा चुनाव में पता चल जाएगा कि कौन विधायक किधर है. दावा किया था कि कांग्रेस के विधायकों का बड़ा तबका उनके साथ है. आज फिर अशोक चौधरी ने कहा कि यहां तो बहुत से लोग पहले से ही संपर्क में हैं, जो स्थिति बिहार में अभी कांग्रेस की है वो बहुत अच्छी नही है. हर व्यक्ति यहां फिर से जीतकर आना चाहता है और जो लीडरशिप कांग्रेस का है और जो कांग्रेस और उनके अलायंस पार्टनर का रुख है, उससे लोग संतुष्ट नही हैं.
अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार का चेहरा और इनके बिहार में किये हुए कार्य को देखकर हर एक को लगता है कि हम नीतीश के पाले में चले जाएं तो ज्यादा सेफ रहेंगे. जब उनसे यह सवाल किया गया कि कितने विधायक संपर्क में हैं तो उन्होंने नंबर बताने से इनकार कर दिया. अशोक चौधरी ने कहा, "कितने संपर्क में हैं, ये नम्बर बताना उचित नही है, पर अच्छे खासे विधायक संपर्क में हैं और चुनाव के पहले कांग्रेस के विधायकों का एक बड़ा तबका बिहार में नीतीश जी के साथ आएगा. राज्यसभा के चुनाव में क्या होगा और क्या नहीं, ये तो समय आने पर पता चलेगा."
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अशोक चौधरी के दावों को गलत बताते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा, "मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इस तरह का बयान किसने दिया है. वो तो पहले से ही सरकार में हैं, तो वो मध्य प्रदेश से इसकी तुलना क्यों कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में एनडीए विपक्ष में है और वो कुछ लोगों को तोड़कर सरकार बनाने के कुचक्र में लगे हैं, लेकिन वो तो यहां पहले से ही सरकार में हैं, तो इसकी तुलना मध्य प्रदेश से क्यों कर रहे हैं. मुझे लगता है कि जदयू के नेता कुछ ज्यादा ही ज्ञानी हो गए हैं या इसकी वजह ये भी हो सकती है कि जदयू बीजेपी से अलग हटना चाहती है. एक सेक्युलर फ्रंट बनाना चाहती है."
प्रेमचंद मिश्रा ने कहा, "मैं समझता हूं कि कांग्रेस या हमारे विधायक को लेकर बिहार बीजेपी या जेडीयू कोई दावा करती है तो वो खुद को भ्रम में रख रही है. क्योंकि हमारे विधायक बीजेपी को ही परास्त कर चुनकर आये हैं, तो वो उस पार्टी या उस गठबंधन में क्यों जाएंगे, जहां उन्हें टिकट ही नही मिलेगा. तो हमारे विधायक कमिटेड हैं, वो पार्टी में ही रहेंगे. जेडीयू बीजेपी अपने घर को बचाये, क्योंकि अभी तक जेडीयू के दो से तीन लोगों ने खुलेआम राजद का दामन थाम लिया है. बीजेपी के भी कुछ लोग नीतीश कुमार के खिलाफ खुलेआम बयान दे रहे हैं. तो स्थिति ये है कि बिहार एनडीए के अंदर जो पार्टियां हैं, समस्या उनके अंदर है, तो कांग्रेस पर बयानबाजी करने की बजाय जदयू, बीजेपी के नेताओं को और अपने घर को बचाना चाहिए."
राज्यसभा में आरजेडी की मान्यता बचाने के लिए कांग्रेस कर सकती है त्याग
प्रेमचंद मिश्रा, "चूँकि राजद ने वादा किया था. पर हो सकता है कि कोई ऐसा उम्मीदवार हो जिसपर दोनों की सहमति बन जाये. राजद के पास भी एक समस्या है कि उन्हें राज्यसभा में कम से कम पांच सीट चाहिये नही तो उसकी मान्यता दल के रूप में न होकर अन्य के रूप में हो जायेगी. तो कई तकनीकी चीजे हैं लेकिन कांग्रेस का मानना है कि गठबंधन पर इन चीजों का प्रभाव नहीं पड़ेगा. हमारा लक्ष्य बिहार विधानसभा चुनाव है, लेकिन हम चाहेंगे कि एक सीट कांग्रेस को मिले तो ज्यादा अच्छा है."
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