नई दिल्ली: जेडीयू के चुनाव चिन्ह ‘तीर’ को लेकर चल रही जंग में नीतीश कुमार को फतह हासिल हुई है. वहीं इस चुनाव चिन्ह पर अपनी दावेदारी ठोक रहे शरद यादव को हार का सामना करना पड़ा है. चुनाव आयोग ने फैसला दिया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ही असली है और शरद यादव का दावा कमजोर है. चुनाव आयोग ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला गुट ही जनता दल (यूनाइटेड) है और वह पार्टी चुनाव चिह्न ‘तीर’ का इस्तेमाल करने की हकदार है. पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावे को लेकर नीतीश कुमार और शरद यादव गुट की अर्जी पर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग ने अपने आदेश में कहा कि नीतीश गुट के पास पार्टी विधायक दल का पूर्ण समर्थन है.


कब क्या हुआ?


जुलाई में नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन कर बिहार में नई सरकार बनाई. नीतीश कुमार के इस फैसले से नाराज होकर शरद यादव इसके खिलाफ खड़े हो गए थे. इसके बाद शरद यादव ने ‘तीर’ निशान और पार्टी पर दावा किया था. हालांकि पार्टी के ज्यादातर सासंद विधायक नीतीश के साथ हैं. अब शरद यादव के पास नई पार्टी बनाने का विकल्प बचा है. वहीं उनकी राज्यसभा सदस्यता भी खतरे मंडरा रहा है. जल्द ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इस पर फैसला सुनाएंगे.


गुजरात से जेडीयू विधायक छोटूभाई बसावा के नाम से आयोग में शरद गुट ने अर्जी दायर कर पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘‘तीर का निशान’’ उनके गुट को आवंटित करने का अनुरोध किया था. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आयोग ने पार्टी के विधायक दल का पूर्ण समर्थन नीतीश गुट के पक्ष में होने के आधार पर राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त जेडीयू के चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल के लिए नीतीश गुट को अधिकृत बताया. सुनवाई के दौरान शरद गुट ने आयोग के समक्ष पार्टी में संगठन के पदाधिकारियों और प्रदेश इकाईयों का समर्थन होने का दावा करते हुए उनकी अगुवायी वाले गुट को असली जेडीयू बताया.


चुनाव आयोग ने आदेश में कहा कि जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार को पार्टी की बिहार प्रदेश इकाई और विधायक दल का समर्थन हासिल है. आयोग ने नीतीश गुट की इस दलील को सही माना कि जेडीयू बिहार की रजिस्टर्ड पार्टी है और इसी राज्य में पार्टी सत्तारूढ़ भी है. इसलिये दूसरे राज्यों के बजाय पार्टी की बिहार इकाई और विधायक दल के समर्थन वाले गुट को ही पार्टी का वास्तविक धड़ा माना जाए.