Deepankar Bhattacharcha Slams Bihar CM: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि हो सकता है कि जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख नीतीश कुमार ने इस ‘‘भय’’ से ‘इंडिया’ गठबंधन छोड़ दिया कि राम मंदिर मुद्दे से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में एक लहर होगी, लेकिन यह गलत साबित हुआ.


भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई संपादकों’ के साथ एजेंसी मुख्यालय में एक साक्षात्कार में कहा कि नीतीश कुमार का 'भय' व्यर्थ साबित हुआ, खासकर उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव परिणामों को देखने के बाद.


पहले इंडिया गठबंधन में शामिल थी नीतीश कुमार की पार्टी


नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) बिहार में राष्ट्रीय जनता दल-कांग्रेस-वाम महागठबंधन में शामिल थी और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की एक घटक थी, लेकिन 2024 के आम चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गई थी.


जनवरी में भाजपा में शामिल हुए थे नीतीश कुमार 


भट्टाचार्य ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि हमने (गठबंधन ने) उन्हें जाने दिया. नीतीश कुमार कहते रहते हैं कि 'अब इधर-उधर नहीं करेंगे.’ इसलिए, वह अपनी मर्जी से ऐसा करते हैं.' कुमार जनवरी में, महागठबंधन और ‘इंडिया’ गठबंधन से अलग हो गए थे और भाजपा के साथ मिलकर बिहार में एक नयी सरकार बनाई थी.


भट्टाचार्य ने कहा - मुझें नहीं पता उन्होंने गठबंधन क्यों छोड़ा


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबरेशन महासचिव भट्टाचार्य ने कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं पता कि उन्होंने क्यों छोड़ा, क्योंकि वह मुख्यमंत्री थे, वह अब भी मुख्यमंत्री हैं. मुझे लगता है कि अगर कोई कहता है कि उन्हें संयोजक नहीं बनाया गया तो ‘इंडिया’ गठबंधन का आज तक कोई संयोजक नहीं है.' उन्होंने कहा, 'संभवतः, आप जानते हैं, भय का एक तत्व था. हालांकि उस भय का कोई वास्तविक आधार नहीं था. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद, बहुत से लोगों ने सोचा कि इस देश में लहर है. इसलिए, उनके लिए टिके रहने की प्रवृत्ति सबसे महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है और शायद इसलिए उन्होंने वैसा किया, लेकिन जैसा कि उत्तर प्रदेश हमें बताता है, वह व्यर्थ का डर था.' 


बिहार में भाजपा को हुआ फायदा


वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीट में से 33 पर जीत मिली जो 2019 में मिली 62 से काफी कम है. वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दल समाजवादी पार्टी को 37 सीट पर कामयाबी मिली जिसने 2019 लोकसभा चुनाव में पांच सीट जीती थीं. भट्टाचार्य ने यह भी दावा किया कि जद (यू) के राजग में शामिल होने से वास्तव में बिहार में भाजपा को फायदा हुआ है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि भाजपा का रुख बिल्कुल स्पष्ट था. नीतीश कुमार के बिना, भाजपा शायद (बिहार में) 10 सीट से भी कम पर सिमट जाती.' भाजपा और जद (यू) दोनों ने बिहार में 12-12 लोकसभा सीट जीतीं. बिहार में लोकसभा की 40 सीट हैं.


पीएम मोदी ने नालंदा का श्रेय लेने की कोशिश की 


राजग की एक हालिया बैठक में नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने और बृहस्पतिवार को बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर मोदी की उंगली पर लगी स्याही देखने के वायरल वीडियो के बारे में पूछे जाने पर, भट्टाचार्य ने कहा, 'उन्होंने (कुमार) कल जो कहा था, मैं उसे मानूंगा. इसलिए उन्होंने जो कहा, वह बिहार के मुख्यमंत्री के लिए बिल्कुल सही था.' भट्टाचार्य ने कहा, 'नरेंद्र मोदी नालंदा के लिए सारा श्रेय लेने और सारी सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे थे और, नीतीश कुमार उनसे कह रहे थे कि यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के दौर की परियोजना है और आपसे पहले भी कई लोगों ने इसमें योगदान दिया है.'


उन्होंने कहा, 'तो, अपने तरीके से, वह नरेंद्र मोदी को याद दिला रहे थे. वास्तविक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए. इसलिए, उन्होंने (कुमार) नालंदा का घटनाक्रम समझाया.'


कहना बहुत मुश्किल है कि नीतीश कुमार राजग के साथ बने रहेंगे या नहीं


हालांकि, भट्टाचार्य ने कहा कि यह कहना बहुत मुश्किल है कि कुमार राजग के साथ बने रहेंगे या नहीं. उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार ने 'इधर उधर' किया है, जैसा कि वे कहते हैं. यह वास्तव में भारतीय राजनीतिक कलाबाजी का एक हिस्सा हो सकता है. यह कहना बहुत मुश्किल है. वे ऐसा कब करते हैं, क्यों करते हैं और अगली बार कब ऐसा करेंगे.'


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