पटना: पिछले कुछ दिनों से जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पार्टी से इतर लगातार बयानबाजी कर रहें हैं. नागरिकता बिल पर उन्होंने पार्टीलाइन से हटकर इस कानून का खुलकर विरोध किया था. हालांकि इसके बाद से बिहार में जेडीयू और बीजेपी के बीच फूट पड़ती दिख रही है. हालांकि बिहार के सीएम और जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार को सब कुछ ठीक लगता है. पत्रकारों के गठबंधन में चल रहे सियासी उतार चढ़ाव पर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा "सब ठीक है". नीतीश कुमार को भले ही सब ठीक लग रहा हो लेकिन साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बिगुल बजने से पहले ही बिहार में सियासी उथल-पुथल शुरू हो चुका है.


बीजेपी-जेडीयू सीट बंटवारे पर बयान से पार्टी में घमासान


विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर ने सीट बंटवारे पर बयान देते हुए कहा, "बिहार में 2010 के विधानसभा चुनाव के आधार पर सीटों का बंटवारा होगा." साथ ही उन्होंने दावा किया कि गठबंधन में जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी है, लिहाजा जेडीयू की भागेदारी बड़ी होगी. प्रशांत के इस बयान ने ना सिर्फ बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है बल्कि पार्टी के अंदर भी इसे लेकर घमासान मच गया है.


सुशील मोदी ने ट्वीट कर साधा निशाना


सुशील मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए लिखा था, "जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर विरोधी गठबंधन को फायदा पहुंचाने में लगे हैं."


इसी ट्वीट पर प्रशांत किशोर ने सुशील मोदी पर तंज कसते हुए कहा, "बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और जेडीयू की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय किया है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं. 2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश उप मुख्यमंत्री बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है."


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