नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाक़ात की जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा गर्म हो गई है. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने की तैयारी के लिए बनी राष्ट्रीय समिति की बैठक में शामिल होने मंगलवार दिल्ली पहुंचे नीतीश ने आते ही बिहार भवन में प्रशांत किशोर से मुलाक़ात की.


मुलाक़ात की वजहों को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. क़यास ये भी लग रहे हैं कि नीतीश कुमार बिहार विधानसभा का चुनाव भी समय से पहले लोकसभा चुनाव के साथ ही करवा सकते हैं.


क़रीब आधे घंटे चली मुलाक़ात
सूत्रों के मुताबिक़ दोनों के बीच क़रीब आधे घंटे तक मुलाक़ात चली. समझा जा रहा है कि मुलाक़ात के दौरान दोनों के बीच अगले लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई है हालांकि फिलहाल इसका पूरा ब्यौरा नहीं मिल पाया है. सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को ये भी बताया कि इसके पहले पटना में भी इन दोनों की मुलाक़ात हो चुकी है.

ऐसे में अटकलें लगनी लाज़िमी है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव की तरह ही तो कहीं नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर साथ काम तो नहीं करेंगे ? अब चूंकि नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ बीजेपी के साथ आ चुके हैं तो अटकलें इस बात को लेकर भी उठ रही हैं कि अगर नीतीश और किशोर एक साथ आते हैं तो इसमें बीजेपी की भूमिका क्या रहेगी ?


महागठबंधन की जीत के एक नायक प्रशांत किशोर भी थे
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की बम्पर जीत के नायक नीतीश कुमार और लालू यादव तो थे ही, इस जीत का सेहरा एक और व्यक्ति के सिर बंधा था वो था चुनावी रणनीति के माहिर खिलाड़ी प्रशांत किशोर का.

प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने पर्दे के पीछे से न केवल रणनीति तैयार की बल्कि उसे ज़मीन पर उतारने में भी बड़ी भूमिका निभाई. महागठबंधन सरकार बनने के बाद किशोर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सलाहकार नियुक्त कर राज्यमंत्री का दर्ज़ा दे दिया गया लेकिन नीतीश के बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया था. इन मुलाक़ातों से एक बार फिर नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के एक साथ आने की चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी है.