Analysis :दो नए डिप्टी सीएम और नए स्पीकर के साथ सीएम नीतीश कुमार को काम में कैसे आएंगी मुश्किलें?
नीतीश कुमार के लिए बतौर सातवें मुख्यमंत्री के तौर पर कैबिनेट चलाना पहले की तरह इतना आसान नहीं होगा. उसकी वजह ये है कि दोनों ही डिप्टी सीएम तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी बीजेपी के खांटी कार्यकर्ताओं में से हैं, जिनका जोर हमेशा पार्टी और संगठन पर रहा है.
जनता दल (यूनाइटेड) अध्यक्ष नीतीश कुमार की अगुवाई में अगली बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनाने जा रही है. वह सातवीं पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं. ऐसे में अभी भी सरकार में शामिल होने वाले चेहरों को लेकर थोड़ा सस्पेंस बना हुआ है. जेडीयू के बड़े पार्टनर बीजेपी और छोटे दल जैसे पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और बॉलीवुड के सेट डिजाइनर मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी से कई नाम सामने आ रहे हैं.
नए चेहरों को मिल सकता है मौका
ऐसी कयासबाजी है कि बीजेपी और जेडीयू के नव-निर्वाचित 14 विधायकों के साथ हम (सेक्युलर) और वीआईपी के एक-एक विधायक शपथ ले सकते हैं. मंत्रालय में कुछ नए चेहरों को भी तरजीह दी जा सकती है. जमुई सीट पर बीजेपी टिकट से जीती राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग चैंपियन श्रेयसी सिंह और जेडीयू नेता स्व. दिग्विजय सिंह की बेटी को मंत्री पद के संभावित दावेदार की रेस में माना जा रहा है. इसके साथ ही, गोपलगंज जिले की भोर विधानसभा सीट से जीते पूर्व डीजीपी सुनील कुमार को जेडीयू कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है.
बीजेपी के 2 डिप्टी सीएम, स्पीकर होंगे नीतीश पर भारी!
243 सदस्यीय विधानसभा में एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी के कोटे से 2 उप-मुख्यमंत्री के साथ ही स्पीकर भी बनाया जा सकता है. इसके साथ ही, हम और वीआईपी जैसी पार्टियों को सुरक्षित रखना भी एनडीए के लिए बड़ी चुनौती होगी क्योंकि मुख्य विपक्षी महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वामदलों की तरफ से उसे तोड़ने का प्रयास किया जाएगा. पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव और डिप्टी स्पीकर अमरेन्द्र प्रताप सिंह का नाम बीजेपी के कोटे से स्पीकर पोस्ट की रेस में सबसे आगे चल रहा है.
ऐसे में नीतीश कुमार के लिए बतौर सातवें मुख्यमंत्री के तौर पर कैबिनेट चलाना इतना पहले की तरह इतना आसान नहीं होगा. उसकी वजह ये है कि दोनों ही डिप्टी सीएम तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी बीजेपी के खांटी कार्यकर्ताओं में से हैं, जिनका जोर हमेशा पार्टी और संगठन पर रहा है. ऐसे में इनकी प्राथमिकताओं में गठबंधन से कहीं ज्यादा पार्टी संगठन और उनकी नीतियों पर होंगी और ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार की तरफ से लिए जाने वाले फैसलों का विरोध किया जा सकता है. इन दोनों ही नेताओं पर सुशील मोदी के विपरीत नीतीश कुमार की छवि का कोई असर नहीं होगा.
बीजेपी कोटे से 2-2 डिप्टी सीएम होने का मतलब ये साफ है कि नीतीश कैबिनेट में बीजेपी का भारी भरकम मंत्रालय होगा यानी सीएम नीतीश कुमार की धमक कम होगी. गौरतलब है कि 243 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटों पर जीत मिली है जबकि महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट कर रह गया.
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