पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहली बार लोक संवाद कार्यक्रम से मीडिया को दूर रखा. आज महीनों बाद पटना के मुख्यमंत्री आवास एक अणे मार्ग में लोक संवाद कार्यक्रम रखा गया था. इस कार्यक्रम में चुने हुए लोग मुख्यमंत्री के सामने किसी खास विषय पर अपनी सलाह, आइडिया या फिर खामियां बताते हैं. मुख्यमंत्री लोक संवाद कार्यक्रम के दौरान उनकी बातें सुनते हैं. जो अच्छा लगता है उस विभाग के सचिव या अधिकारी से पूरी जानकारी लेते हैं. जो भी सलाह मिलता है उसपर अमल करने को कहते हैं.


लोक संवाद के दौरान संबन्धित विभाग के मंत्री भी मौजूद रहते हैं. इस पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार भी रहते हैं. लोक संवाद खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया के सवालों का जवाब भी देते हैं. पर यह पहला मौका है जब उन्होंने न सिर्फ मीडिया को इस कार्यक्रम से दूर रखा बल्कि मुख्यमंत्री सचिवालय से आने वाले कार्यक्रम की सूची में लोक संवाद का जिक्र नहीं था.


कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री फिलहाल सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर किसी तरह की बात कहने से बचना चाहते हैं. पार्टी के अंदर पहले से ही इन मुद्दों को लेकर विवाद चल रहा है. जेडीयू नेता पवन वर्मा ने तो चिठ्ठी लिखकर सफाई भी मांगी थी. हालांकि नीतीश उन्हें कहीं और जाने की सलाह दे दी पर इससे जो सवाल पवन वर्मा ने उठाए थे उसका जवाब नहीं आया था. पत्रकारों के सवाल से बचना चाहते होंगे. दिल्ली चुनाव और उसके फैसले से पहले कोई भी जवाब नुकसानदेह हो सकता है.


माना जा रहा है कि नीतीश समझ रहे होंगे कि इन मुद्दों पर नफा और नुकसान को तौल कर ही मीडिया में आना उचित होगा. हालांकि नीतीश ने 14 जनवरी को कहा था कि 19 जनवरी के बाद वो सभी मुद्दों पर बात करेंगे. 19 जनवरी के बाद आज यानि 27 जनवरी को लोक संवाद के ज़रिए बात करने का पहला मौका उन्होंने जान बूझकर जाने दिया. यानि नीतीश अब 11 फरवरी को दिल्ली के नतीजे तक तो बात नहीं ही करना चाहेंगे.