नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी घमासान से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किनारा कर लिया है. नीतीश ने कहा है कि यह उन लोगों का आपसी मामला है इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता. नीतीश कुमार केंद्र में एनडीए के सहयोगी हैं और बिहार में भी बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. शिवसेना भी एनडीए का हिस्सा थी लेकिन सीएम पद को लेकर हुए विवाद की वजह से उसने अब एनडीए से नाता तोड़ लिया है. केंद्र में शिवसेना के एक मात्र मंत्री अरविंद सावंत ने भी इस्तीफा दे दिया है.


बता दें कि आज सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना के सांसद संजय राउत ने बीजेपी के नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने का उदाहरण दिया था. इस पर जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने कहा, ''यह उन लोगों का मामला है, वो क्या करेंगे इस पर हम क्या कह सकते हैं.''


महाराष्ट्र में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच अब सरकार बनने का रास्ता साफ होता हुआ दिखाई दे रहा है. 56 सदस्यों वाली शिवसेना एनसीपी की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. इससे पहले सरकार बनाने के लिए राज्यपाल ने बीजेपी को न्यौता दिया था. जिसके बाद पार्टी सरकार बनाने से पीछे हट गई थी.


कैसे बनेगी शिवसेना की सरकार


शिवसेना के पास 56 विधायक हैं. महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटे हैं. किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 145 का जादुई आंकड़ा चाहिए. ऐसे में अगर 54 सीटों वाली शरद पवार की पार्टी एनसीपी का समर्थन शिवसेना को मिल जाता है तो आंकड़ा 110 पहुंच जाता है. उसके बाद शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए और 35 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.


सूबे में अन्य पार्टियों और निर्दलीयों के खाते में 27 सीटें गई हैं, जबकि कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं. चूंकि बहुमत के लिए शिवसेना गठबंधन को एनसीपी के अलावा 35 सीटें दरकार हैं. ऐसे में उसके पास कांग्रेस के समर्थन के अलावा कोई चारा नहीं है. अगर कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी साथ में आ जाती हैं तो ये गठबंधन बहुमत का जादुई आंकड़ा आसानी से पार कर रहा है. तीनों की सीटें 154 पर पहुंच जाती हैं.