Opposition Meeting: विपक्षी दल लोकसभा चुनाव को लेकर एकजुट होने के प्रयास में लगे हैं. विपक्षी दलों की आगे की रणनीति को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में 23 जून को बैठक बुलाई है. इसी बीच डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चीफ और पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद ने विपक्षी पार्टियों की मीटिंग को लेकर कहा कि इसका कोई फायदा नहीं होगा. इसका लाभ तभी होगा जब दोनों पक्षों के लिए कुछ होगा.
उन्होंने कहा, ''दोनों के लिए लाभ के हिस्से में अंतर हो सकता है- यह 50-50 या 60-40 हो सकता है - लेकिन इस मामले में, दोनों पक्षों के पास दूसरे को देने के लिए कुछ भी नहीं है.” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा उदाहरण देते हुए कहा कि टीएमसी के पास पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को देने के लिए कुछ नहीं है.
गुलाम नबी आजाद ने क्या कहा?
पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा ''पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और सीपीआईएम का एक भी विधायक नहीं है. ऐसे में इन दोनों दलों के साथ सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) गठबंधन क्यों करेगी. इससे टीएमसी को क्या मिलेगा. ऐसे ही टीएमसी का राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोई एमएलए नहीं है. कांग्रेस इन राज्यों में टीएमसी को क्या देगी.''
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा ही आंध्र प्रदेश में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है. इसी प्रकार यहां के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी के किसी भी राज्य में विधायक नहीं है, कांग्रेस इन्हें क्या देगी. ऐसे में विपक्षी एकता कुछ नहीं एक सिर्फ फोटो अपॉर्चुनिटी है.
बीजेपी को लेकर क्या कहा?
गुलाम नबी आजाद ने साथ ही कहा कि वो चाहते हैं कि बीजेपी की हार हो, लेकिन किसी भी विपक्षी दलों की अपने राज्य के अलावा दूसरी जगह मौजदूगी नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि चुनाव के बाद गठबंधन की अधिक संभावना है.
आजाद ने आगे कहा कि कांग्रेस को उस राज्य में फायदा हो रहा है जहां कि राज्य नेतृत्व मजबूत है. अंतर इतना है कि पहले केंद्रीय नेतृत्व राज्यों को चलाता था और अब राज्य नेतृत्व केंद्रीय नेतृत्व को चलाता है.
विपक्षी दलों की मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, टीएमसी चीफ ममता बनर्जी, एनसीपी चीफ शरद पवार और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित कई नेता आएंगे.
(इनपुट भाषा से भी)
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