(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कांग्रेस का रवैया या कुछ और बात... बंगाल-पंजाब के बाद बिहार में भी सहयोगियों ने क्यों छोड़ा INDIA का साथ?
Bihar Political Crisis: नीतीश कुमार का बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा देना इंडिया गठबंधन के लिए किसी झटके से कम नहीं है. उन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गठबंधन छोड़ा है.
INDIA Alliance: लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए पिछले साल विपक्ष ने मिलकर इंडिया गठबंधन बनाया. उसे उम्मीद थी कि इस गठबंधन के जरिए वह बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को चुनौती देगी और चुनाव जीतकर सरकार बनाएगी. हालांकि, इन उम्मीदों पर हर बीतते वक्त के साथ पानी फिरता जा रहा है. इसकी वजह ये है कि जिन दलों के बूते इंडिया गठबंधन को जीत की आस थी, वो दल धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ते जा रहे हैं.
इंडिया गठबंधन को ताजा झटका रविवार (28 जनवरी) को बिहार में लगा है, जहां नीतीश कुमार की जेडीयू ने न सिर्फ इससे नाता तोड़ा है, बल्कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि नीतीश अब उस एनडीए के साथ चले गए हैं, जिसे हराने के लिए इंडिया गठबंधन बना है. इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है और उसके साथ कोई भी दल सामंजस्य बैठाना नहीं चाहता है, जिसका नुकसान गठबंधन को उठाना पड़ रहा है.
ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हें कि बिहार के अलावा किन दो राज्यों में इंडिया गठबंधन को बड़े झटकों का सामना करना पड़ा है? इन तीनों राज्यों में लोकसभा की कितनी सीटें हैं और पिछली बार चुनाव में यहां रिजल्ट कैसा रहा था?
किन राज्यों में इंडिया के लिए बिगड़ी बात?
पश्चिम बंगाल: इंडिया गठबंधन के लिए सबसे पहले जिस राज्य में बात बिगड़ी, उसमें पश्चिम बंगाल शामिल है. यहां तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख और सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर अनिच्छा जताई. ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन में शामिल लेफ्ट पार्टियों के साथ काम करना नहीं चाहती थीं. वह ये भी चाहती थीं कि पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारा होने पर सबसे ज्यादा सीटें उनकी पार्टी को मिले. कांग्रेस को वह दो सीटें देने के पक्ष में थीं.
हालांकि, सीट बंटवारे पर बात नहीं बनने पर ममता बनर्जी ने बुधवार को ऐलान किया कि वह राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ने वाली हैं. ममता ने कहा कि मैंने उन्हें (कांग्रेस को) सीटों के बंटवारे पर एक प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने शुरू में ही इसे नकार दिया. हमारी पार्टी ने अब बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इस तरह इंडिया गठबंधन को पहला झटका बंगाल में लगा. पश्चिम बंगाल में लोकसभा की सीटों की संख्या 42 है.
पंजाब: इंडिया गठबंधन को जिस दिन ममता बनर्जी से झटका मिला, उसी दिन आम आदमी पार्टी (आप) नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी उसे झटका दे दिया. भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं किया जाएगा. उन्होंने यहां तक दावा किया कि पंजाब की 13 सीटों पर आप को जीत मिलेगी. पंजाब सीएम ने कहा, 'हम उनके (कांग्रेस) साथ नहीं जाएंगे. हर लोकसभा क्षेत्र में तीन से चार संभावित उम्मीदवार हैं.'
यहां गौर करने वाली बात ये थी कि पंजाब के आप नेता कांग्रेस के साथ गठबंधन के विरोध में थे. कांग्रेस के नेता भी नहीं चाहते थे कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया जाए. हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और आप दोनों ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं. इस वजह से दोनों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत भी चल रही थी. कांग्रेस के साथ गठबंधन का विरोध करने वाले नेताओं में खुद भगवंत मान शामिल थे.
बिहार: लोकसभा चुनाव के लिहाज से बिहार को सबसे अहम राज्य माना जाता है. यहां तक कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता तक का रास्ता बिहार और यूपी से होकर गुजरता है. बिहार में बिना गठबंधन के किसी भी दल के लिए जीतना मुश्किल होता है. इस वजह से ही इंडिया गठबंधन ने यहां के सभी प्रमुख दलों जेडीयू, आरजेडी, सीपीआईएम, कांग्रेस को एक साथ किया. हालांकि, रविवार को जेडीयू ने इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ दिया.
जेडीयू को लग रहा था कि उसे इस गठबंधन में ज्यादा सीटें नहीं मिलने वाली हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि वह सीट बंटवारे में हो रही देरी की वजह से भी नाराज चल रही थी. ऊपर से इंडिया गठबंधन की पहल करने वाले नीतीश कुमार संयोजक नहीं बनाए जाने से भी नाराज थे. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जेडीयू ने गठबंधन छोड़ने का फैसला किया और चुनाव से पहले इंडिया को बड़ा झटका दे दिया.
क्या था पिछले चुनाव में इन तीन राज्यों में हाल?
पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. 2019 चुनाव में टीएमसी और कांग्रेस ने बिना गठबंधन किए चुनाव लड़ा. टीएमस को 22 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस 2 सीटों पर सिमट गई थी. लेफ्ट का तो खाता भी नहीं खुला था. वहीं, बीजेपी को 18 सीटें मिली थीं. पंजाब की बात करें तो यहां की 13 सीटों में से 8 पर कांग्रेस को जीत मिली थी. आप के खाते में एक सीट आई थी, जबकि बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल को दो-दो सीटें मिली थीं. बिहार की 40 सीटों में से बीजेपी को 17 सीटें मिली थीं, जबकि जेडीयू के खाते में 16 सीटें आई थीं. एलजेपी को 6 और कांग्रेस को एक सीटें मिलीं.
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