Bihar Political Crisis: “नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है...” मशहूर शायर राहत इंदौरी की ये लाइनें बिहार की राजनीति पर एकदम फिट बैठती है. एक बार फिर बिहार के सीएम नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल का साथ छोड़कर बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में जाने वाले हैं. फिर से उनका गठबंधन पार्टनर तो बदला-बदला नजर आएगा, लेकिन मुख्यमंत्री वही रहेंगे.


रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश कुमार ने आज यानी रविवार (28 जनवरी) सुबह जेडीयू विधायक दल की बैठक बुलाई. इसमें उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया. अब वह राजभवन में जाकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे. बताया जा रहा है कि इसके बाद रविवार शाम करीब 4 बजे वह फिर से सीएम पद की शपथ लेंगे. उनके साथ 6 से आठ मंत्री शपथ ले सकते हैं.


डेढ़ महीने पहले ऐसे लिखी गई स्क्रिप्ट


2022 में जब नीतीश कुमार दूसरी बार बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी, कांग्रेस औऱ अन्य दलों के समर्थन से सरकार बनाई तो कई मौकों पर उन्होंने कहा कि वह मरना पसंद करेंगे लेकिन भाजपा के साथ जाना नहीं. बीजेपी से भी कई नेताओं ने नीतीश कुमार के लिए अब हमेशा के लिए गेट बंद होने की बात कही, लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखकर लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हो गया जो दोनों ही तरफ से सबकुछ भुला दिया गया और फिर दोनों एक होने वाले हैं.

इस पूरे खेल को समझने के लिए आपको 50 दिन पीछे जाना होगा. दरअसल, 10 दिसंबर 2023 को अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात एक कार्यक्रम में हुई थी. बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद अमित शाह और नीतीश कुमार की यह पहली मुलाकात थी.


राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि इस मीटिंग के बाद से ही बिहार में राजनीतिक परिदृश्य बदलने लगा. अमित शाह से मिलने के 19 दिन बाद 29 दिसंबर 2023 को नीतीश कुमार ने जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई. इसमें ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष से हटाकर नीतीश कुमार ने खुद यह पद संभाल लिया. उनके अध्यक्ष बनते ही नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने की चर्चाएं होने लगी थीं. अध्यक्ष बदलने के 16 दिन बाद अमित शाह का नीतीश कुमार और जेडीयू को लेकर स्टैंड बदलता है. एक इंटरव्यू में अमित शाह नीतीश कुमार की वापसी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहते हैं कि, जो और तो से राजनीति में बात नहीं होती. किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा.


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