नीतीश के बीजेपी के बागी सरयू राय को समर्थन देने का क्या मायने हैं? क्या बिहार में होगा इसका असर
अब ये साफ हो गया है कि झारखण्ड में जेडीयू न सिर्फ पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए काम कर रही है बल्कि बीजेपी के मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने में अपनी ताकत भी लगा रही है.
रांचीः झारखण्ड में विधानसभा की लड़ाई में उस वक्त दिलचस्प मोड़ आ गया जब बीजेपी के बागी पूर्व मंत्री सरयू राय को नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर समर्थन दे दिया. जेडीयू के सांसद और लोकसभा में दल के नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दावा किया कि सरयू राय ने झारखण्ड में भ्रष्टाचार के खिलाफ काम किया है लिहाज़ा जेडीयू उनका समर्थन करती है. ललन सिंह ने कहा कि 'सरयू राय भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा संघर्ष करते रहे हैं और 5 साल सरकार में रहने के बावजूद वो भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार आवाज बुलंद करते रहे हैं. लगता है कि इसी वजह से झारखंड में उन्हें एक षडयंत्र के तहत बेटिकट करने का प्रयास किया गया.
ललन सिहं ने कहा कि अब कोई व्यक्ति जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाये और ऐसे में उनका टिकट काट दिया जाए तो उन्होंने फैसला लिया कि सांकेतिक रूप से वो मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ नामांकन का पर्चा भी दाखिल किया है और जेडीयू उनके इस कार्य का समर्थन करती है.
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अब ये साफ हो गया कि झारखण्ड में जेडीयू न सिर्फ पार्टी का जनाधार बढाने के लिए काम कर रही है बल्कि बीजेपी के मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने में अपनी ताकत भी लगा रही है. आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झारखण्ड में प्रचार करने की बात पर भी साफ कर दिया कि वो झारखण्ड में चुनाव प्रचार करने नहीं जाएंगे, जबकि एक दिन पहले ही ललन सिंह ने कहा था कि ज़रूरत पड़ी तो सरयू राय के लिए नीतीश को प्रचार करने के लिए मना लेंगे. ललन सिंह ने कहा था कि अभी नामांकन की प्रक्रिया खत्म हुई है. सरयू राय उम्मीदवार हैं अगर वो जरूरत महसूस करते हैं तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह करेंगे और जब वो ऐसा करते है तो हम सब कहेंगे कि मुख्यमंत्री जी को और हम सब को वहां जाकर मीटिंग करे और उनके समर्थन में वोट भी मांगें. उन्होंने कहा था, ''हम सबलोग में जिसकी भी जरूरत वहां होगी वो जाकर सरयू राय के समर्थन में वोट मांगने का काम करेगा. हमलोग ने वहां से अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है और अब तो नामांकन भी खत्म हो गया है.''
उधर बीजेपी के प्रवक्ता राजेश शुक्ला ने कहा कि कोई भी किसी के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा सकता हैं. लेकिन कोई प्रमाण तो पेश करें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और मुख्यमंत्री भारी मतों से जीतेंगे.
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दरअसल सरयू राय और नीतीश कुमार की दोस्ती बहुत पुरानी है. बिहार और झारखण्ड अलग होने पर सरयू राय झारखण्ड चले गए. बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव को चारा घोटाले में जेल भिजवाने और सज़ा दिलाने में सरयू राय की अहम भूमिका रही है. वहीं झारखण्ड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा के भी माइंस मामले में कार्यकलापों के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी जिसके बाद उन्हें भी जेल जाना पड़ा था.
बीजेपी सरकार में रघुवर दास के मंत्रिमंडल में सरयू राय मंत्री रहे लेकिन भ्रष्टाचार के मामले को उठाते रहे. यहां तक कि सरयू राय मंत्री रहते कैबिनेट में नहीं जाते थे. ऐसे में नीतीश ने सरयू राय को समर्थन देकर ये जता दिया कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वो किसी का साथ दे सकते हैं. नीतीश कुमार इसका सन्देश बिहार में दे रहे हैं.