लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद नई सरकार की गठन की तैयारियां चल रही हैं. बुधवार (5 जून) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सहयोगी दलों के साथ मीटिंग की और एक बार फिर देश में एनडीए की सरकार बनने जा रही है. प्रधानमंत्री को लेकर तो करीब-करीब फाइनल है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे, लेकिन उनके मंत्रिमंडल को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
बीजेपी इस बार 272 के बहुमत के आंकड़े तक पहुंच नहीं सकी, जिस कारण मोदी 3.0 सरकार के गठन से पहले एनडीए के सहयोगी दलों की अलग-अलग मांगों को लेकर खबरें सामने आ रही हैं.
गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के मुखिया चंद्रबाबू नायडू की तरफ से पांच मंत्रालय मांगे जाने की खबरें हैं. वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइडेट) के प्रमुख नीतीश कुमार ने भी तीन मंत्री पद मांगे हैं. इतना ही नहीं, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और एकनाथ शिंदे गुट भी मंत्री पद के लिए दावेदरी ठोक सकते हैं.
बीजेपी के सामने कई चुनौतियां
ऐसे में बीजेपी के सामने कई चुनौतियां हैं. मंत्रालयों का बंटवारा कैसे करे और इस वक्त वह किसी भी सहयोगी दल को नाराज करने का खतरा भी मोल नहीं ले सकती है. चार साल पहले जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुआ था तो नीतीश कुमार के सामने भी ऐसी ही स्थिति थी और बीजेपी ने उनके साथ गठबंधन कर न सिर्फ सरकार बनाई, बल्कि ज्यादा सीटें होने के बावजूद नीतीश कुमार को सीएम की गद्दी भी दी.
अब देखना ये होगा कि नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री मोदी की तरह किसी शर्त पर अड़े बगैर उनके लिए सरकार बनाने की राह आसान बनाते हैं या नहीं?
74 विधायक देकर बिहार में बीजेपी ने बनवाई थी नीतीश की सरकार
2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार की 243 सीटों में से 74 पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि जेडीयू सिर्फ 43 सीटें ही जीत सकी थी. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 144 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. तब बीजेपी के 74 विधायकों ने जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने.
दो साल बाद ही 2022 में सत्ता परिवर्तन हुआ और जेडीयू ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बना ली. इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों को इकट्ठा कर INDIA गठबंधन भी बनाया. हालांकि, बाद में गठबंधन की बैठकों में उन्हें किनारे कर दिया गया. बिहार में महागठबंधन की सरकार भी ज्यादा समय तक नहीं चल सकी और नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फिर पलटी मारी और एनडीए में आ गए.
2019 वाले खेला तो नहीं करेंगे नीतीश?
नीतीश कुमार सरकार बनने में कितनी मदद करेंगे, इसे लेकर सवाल इसलिए भी उठना लाजमी है क्योंकि 2019 में मोदी 2.0 सरकार के गठन से ठीक पहले उनके पलटने की खबरें आई थीं. बीजेपी और जेडीयू अलायंस ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 जीती थीं, लेकिन जब सरकार बनाने की बारी आई तो नीतीश पलट गए और समर्थन नहीं देने का फैसला कर लिया.
सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि तब नीतीश कुमार ने दो मंत्री पद की मांग रख दी थी और शायद बीजेपी राजी नहीं हुई. हालांकि, उस वक्त बीजेपी के पास प्रचंड बहुमत था और सहयोगी दलों के पास मंत्री पद मांगने के लिए उतनी बारगेनिंग पावर नहीं थी.
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