सीएम नीतीश ने प्रधानमंत्री को दूसरी बार लिखी चिठ्ठी, कहा- ऑनलाइन अश्लील कंटेंट के खिलाफ समुचित कार्रवाई हो
चिट्ठी में मुख्यमंत्री द्वारा इन्टरनेट पर उपलब्ध ऐसी साइट्स पर प्रतिबंध लगाने हेतु समुचित कार्रवाई करने के संबंध में अनुरोध किया गया है.
पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इंटरनेट के ज़रिए उपलब्ध स्ट्रीमिंग सर्विसेज पर सेंसरशिप लागू करने के संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री को लिए गए पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि देश में रेप और आपराधिक घटनाओं से पूरे देश का जनमानस पर बूरा प्रभाव पड़ता है. इस तरह की घटनाएं ज्यादातर सभी राज्यों में घटित हो रही हैं. जो अत्यंत दुख और चिंता का विषय है.
मुख्यमंत्री ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को भेजे गये अपने पूर्व पत्र दिनांक 11.12.2019 का भी हवाला दिया है. जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा इन्टरनेट पर उपलब्ध ऐसी पॉर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगाने हेतु समुचित कार्रवाई करने के संबंध में अनुरोध किया गया था. मुख्यमंत्री ने दोबारा इसी विषय से संबंधित एक महत्वपूर्ण बिंदु की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया है.
सीएम ने पत्र में लिखा है कि वर्तमान में कई सेवा प्रदाता अपनी-अपनी स्ट्रीमिंग सर्विसेज के माध्यम से उपभोक्ताओं को विभिन्न कार्यक्रम, फिल्में और सीरियल्स (धारावाहिक) दिखा रहे हैं. लेकिन स्ट्रीमिंग सर्विसेज पर सेंसरशिप लागू न होने के कारण अत्यधिक आपराधिक मार-धाड़ या सेक्स के खुले प्रदर्शन पर आधारित फिल्में और धारावाहिक इन चैनलों पर दिखाये जा रहे हैं.
ये कार्यक्रम किसी अन्य माध्यम से उपलब्ध नहीं होते हैं और केवल इन्हीं स्ट्रीमिंग सर्विसेज के माध्यम से उपभोक्ताओं को सीधे उपलब्ध होते हैं. साथ ही स्ट्रीमिंग सर्विसेज पर जो कार्यक्रम आते हैं उनपर नियमों और कानूनों की अस्पष्टता होने के कारण न तो सेंसरशिप लागू होती है और न ही किसी प्रकार के विज्ञापन आते हैं.
इसके अतिरिक्त जब भी उपभोक्ता चाहे तब ये कार्यक्रम देख सकता है. इस तरह से ये सेवाएं एक ऑनलाइन वीडियो लाईब्रेरी के रूप में कार्य करती हैं. इन सेवाओं की दर भी डीटीएच और केबल सेवाओं से काफी कम रहती है. उपरोक्त कारणों से ये सेवाएँ उपभोक्ताओं के बीच काफी प्रचलित हैं.
मुख्यमंत्री ने पत्र में उल्लेख किया है कि स्ट्रीमिंग सर्विसेज की लोगों तक बिना सेंसर के पहुंच के कारण बहुत से लोग अश्लील, हिंसक और अनुचित कन्टेन्ट देख रहे हैं, जो अवांछनीय है. इन कार्यक्रमों को देखने वाले बहुत सारे लोगों के मस्तिष्क को इस तरह की सामग्री गंभीर रूप से दुष्प्रभावित करती हैं. इसके अतिरिक्त ऐसी सामग्री के दीर्घकालीन उपयोग से कुछ लोगों की मानसिकता नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है जिससे अनेक सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराधों में वृद्धि हो रही है.
मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से कहा है कि इस तरह की अनुचित सामग्री की असीमित उपलब्धता उचित नहीं है तथा महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध हो रहे ऐसे अपराधों के निवारण हेतु प्रभावी कार्रवाई किया जाना नितांत आवश्यक है. गौरतलब है कि सिनेमैटोग्राफ एक्ट-1952 की धारा 3 के अनुसार फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन के प्रमाणीकरण के लिये के गठन का प्रावधान है लेकिन इस अधिनियम में को परिभाषित नहीं किया गया है. इसके कारण यह स्पष्ट नहीं है कि प्रमाणीकरण की आवश्यकता केवल सिनेमा हाॅल में दिखाये जाने वाले कार्यक्रमों के लिये है अथवा अपने निजी घर में भी देखे जाने वाले कार्यक्रम की परिभाषा में आते हैं.
नीतीश कुमार ने अपने विस्तृत पत्र में लिखा है कि नियम एवं अधिनियम में अस्पष्टता के कारण आज समाज में स्ट्रीमिंग सर्विसेज के माध्यम से दिखाये जाने वाले अश्लील एवं हिंसक कार्यक्रमों के नकारात्मक प्रभावों के कारण अपराधों में वृद्धि हो रही है. अतः ऐसे कार्यक्रमों के निर्माण एवं प्रसारण को अपराध मानते हुए इन पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है. साथ ही विभिन्न हितधारकों यथा- अभिभावकों, शैक्षिक संस्थानों एवं गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से व्यापक जागरूकता अभियान चलाना भी आवश्यक है.
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि इस गंभीर विषय पर तत्काल विचार करते हुए स्ट्रीमिंग सर्विसेज के माध्यम से प्रसारित हो रहे कार्यक्रमों को सिनेमैटोग्राफ एक्ट के अंतर्गत प्रमाणीकरण की परिधि में लाने हेतु समुचित कार्रवाई करने की कृपा की जाए. इसके अतिरिक्त ऐसे अश्लील एवं हिंसक कार्यक्रमों के निर्माण एवं प्रसारण को अपराध की श्रेणी में लाना चाहिये ताकि संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई की जा सके.
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