नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने उनके आवास 10 जनपथ पहुंचे. खबरें हैं कि इस मुलाकात में 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी पार्टियों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने पर चर्चा हुई.


जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता के. सी त्यागी का कहना है, "हम चाहते हैं कि सभी विपक्षी पार्टियां मिलकर इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारें. साथ ही उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी विपक्ष की सबसे बड़ी नेता हैं और उन्हें सभी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने की पहल करनी चाहिए."


केसी त्यागी ने ये सब बातें नीतीश कुमार और सोनिया गांधी की कल 10 जनपथ पर हुई मुलाकात के बाद कहीं. बताया जा रहा है कि दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक चली बैठक में बेहतर तालमेल और विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने पर ही चर्चा हुई.


केसी त्यागी ने जानकारी दी है कि राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर वो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और लेफ्ट पार्टियों के नेताओं से बातचीत कर चुके हैं. साथ ही उनका कहना है कि अब समय आ गया है जब कांग्रेस की ओर से भी इस बात की पहल की जानी चाहिए.


कैसे बन सकता है गठबंधन?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के बीच हो रही बातचीत भी विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए अच्छी खबर है. हाल ही में ओडिशा के पंचायत चुनाव में बीजेपी को मिली कामयाबी ने नवीन पटनायक की चिंता बढ़ा दी है, ऐसे में उनके इन दलों के साथ आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

जेडीयू की ओर से कहा गया है कि बीजेपी का सामना करने के लिए सभी विपक्षी पार्टियों को साथ आना चाहिए. यह भी कहा गया है कि सभी सेकुलर पार्टियां मिलकर बीजेपी का सामना मजबूती से कर सकती हैं.

क्या राष्ट्रपति चुनाव पर असर पड़ेगा?


राष्ट्रपति के लिए जो जरूरी वोट है, मौजूदा समीकरण केंद्र के सत्ताधारी गठबंधन के पक्ष में है. एनडीए के पास जितने सांसद और विधायक हैं उसके हिसाब से मोदी को राष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने में थोड़ी भी मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. राष्ट्रपति चुनाव के लिए जितने वोटों की जरूरत है मौजूदा गठबंधन के पास सिर्फ 20 हज़ार वोटों की कमी है, जिसका इंतजान करना कोई मुश्किल नहीं है.


तो सवाल उठता है कि सोनिया-नीतीश के मुलाकात के क्या मायने हैं? दरअसल, इस मुलाकात के मायने सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव तक महदूद करना सही नहीं है, बल्कि असल ये पैगाम देना है कि अब एक नया गठबंधन उभर रहा है और ये राष्ट्रपति चुनाव के बाद यानि 2019 में मोदी के लिए एक मजबूत चुनौती बनेगा.



लोकसभा का गणित क्या कहता है ?
लोकसभा में अभी 545 सांसद हैं. तीन सीटें खाली हैं और दो एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्यों को वोट करने का अधिकार नहीं है तो सदन की संख्या 540 हुई. इसमें एनडीए के कुल 339 सांसद हैं जिनमें दो मनोनीत सदस्य हैं. अब चुनाव में वोट देने वाले कुल सदस्य 337 हुए. हर सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है. इस तरह लोकसभा में एनडीए के कुल 2 लाख 38 हजार 596 वोट हुए.

अब राज्यसभा का गणित समझिए..
245 सांसदों वाली राज्यसभा में ओडिशा और मणिपुर की एक-एक सीट खाली है. इसके बाद 243 सांसद बचे. इनमें 12 मनोनीत सदस्य हैं. एनडीए के कुल 74 सांसद हैं, चार मनोनीत हैं तो बचे 70 सांसद. एक वोट का मूल्य 708 होता है. इस हिसाब से राज्यसभा में एनडीए के 49 हजार 560 वोट हुए.

राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों का गणित क्या कहता है?
राष्ट्रपति के लिए सांसद के साथ विधायक भी वोट डालते हैं. 29 राज्यों में से 17 राज्यों में एनडीए की सरकार है जबकि सभी राज्य मिलाकर एनडीए के 1805 विधायक हैं.

सांसदों के वोट का मूल्य निश्चित है लेकिन विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग राज्यों की जनसंख्या के अनुसार होता है. जैसे सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 है तो सबसे कम जनसंख्या वाले प्रदेश सिक्किम के वोट का मूल्य मात्र 7 हैं. विधायकों के वोट का हिसाब करें तो एनडीए के 1805 विधायकों के वोटों का मूल्य 2 लाख 44 हजार 436 है.

एऩडीए का आंकड़ा कहां तक पहुंचा है?
लोकसभा और राज्य सभा के 771 सांसदों के हैं इस हिसाब से कुल 5 लाख 45 हजार 868 वोट होते हैं. जबकि पूरे देश में 4120 विधायक हैं. विधायकों के कुल वोट 5 लाख 47 हजार 786 हैं. देश में कुल वोट हैं 10 लाख 93 हजार 654 और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5 लाख 46 हजार 828 वोट चाहिए.

एनडीए के सांसद और विधायकों का वोट जोड़कर 5 लाख 32 हजार 592 हुआ, यानी एनडीए को अभी जीत के लिए और 14 हजार 236 वोट चाहिए. अब मान लिया जाए कि उपचुनाव की सभी सीटों पर बीजेपी जीत जाती है तो तीन सांसदों के 2124 वोट और 10 राज्यों की 12 विधानसभा सीटों के 1388 वोट को जोड़ दें तो कुल 3512 वोट होते हैं. यानी अब भी एनडीए को 10 हजार 724 वोट चाहिए और इन्हीं वोटों के लिए एनडीए बड़े स्तर पर विचार करने के लिए आज जुटा है.