Godman Nityanand: विवादित स्वयंभू नित्यानंद इन दिनों काफी सुर्खियों में है. वजह है कि उसने यूनाइडेट स्टेट्स ऑफ कैलासा नाम का कथित देश बनाया और उसके प्रतिनिधियों ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा भी लिया. अपहरण और बलात्कार का आरोपी नित्यानंद साल 2019 में देश से भाग गया था. कुछ साल बाद पता चला कि उसने अपना एक देश बना लिया है.


हालांकि, उसके देश के बारे में कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं है. आए दिन उसके अनुयायी सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते रहते हैं. इसमें कथित देश कैलासा के विकास को दिखाते हैं. अंग्रेजी वेबसाइट एनडीटीवी में छपी खबर के मुताबिक, बीबीसी की एक रिपोर्ट की के मुताबिक नित्यानंद ने इक्वाडोर के तट के पास एक आइलैंड खरीदा है. इसी जगह वह कैलासा स्थापित करने का दावा करता है. सोशल मीडिया के अलावा किसी अन्य जगह पर इस कथित देश का कोई अता-पता नहीं है. तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कैलासा के बारे में...


कहां है कैलासा?


जब से इस भगोड़े नित्यानंद ने अपने कथित देश कैलासा की घोषणा की तभी से लोगों के मन ये जानने की जिज्ञासा रही है कि आखिर ये देश है कहां? बीबीसी की रिपोर्ट कहती है कि उसने इक्वाडोर आइलैंड पर अपना देश बनाया है तो वहीं, इसी देश की सरकार ने उस वक्त बीबीसी को ये भी बताया था कि नित्यानंद इक्वाडोर में नहीं रहता है. इस तथाकथित देश की वेबसाइट के मुताबिक, कैलासा कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरे देशों के हिंदू, अल्पसंख्यकों का एक आंदोलन है और ये सभी के लिए सुरक्षित आश्रय की व्यवस्था करता है. नस्ल, लिंग, पंथ या जाति की परवाह किए बिना शांति के साथ रह सकते हैं.


कैलासा की नागरिकता के बारे में


अब इसकी नागरिकता के बारे में भी सोशल मीडिया के माध्यम से ही जानकारी मिली है. गुरुवार को कैलासा के ट्विटर हैंडल से ई-वीजा और ई-सिटिजनशिप के लिए आवेदन मांगे. नित्यानंद के तथाकथित देश कैलासा का अपना झंडा है, अपना संविधान है, अपनी आर्थिक व्यवस्था है यहां तक कि उसका अपना पासपोर्ट सिस्टम भी है. दूसरे देशों की तरह कैलासा में भी कई डिपार्टमेंट हैं, इसकी वेबसाइट के मुताबिक, राजकोष, कॉमर्स, आवास, मानव सेवा जैसे कई विभाग शामिल हैं. कैलासा खुद को इंटरनेशनल हिंदू प्रवासियों को शरण और उनके लिए घर देने का दावा करता है.


कैलासा देश की मान्यता पर सवाल


कैलासा की मान्यता की अगर बात की जाए तो यही एक ऐसा फील्ड है जहां पर भगोड़ा नित्यानंद स्ट्रगल कर रहा है. समय-समय पर वो और उसके प्रतिनिधि सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं कि काल्पनिक देश कैलासा ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया कि फलां इवेंट में पहुंचे. यहां तक कि अन्य देश के प्रतिनिधियों से बैठक करने का भी दावा किया जाता है. वहीं, जानकारी के लिए बता दिया जाए कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने कैलासा को एक देश के रूप में मान्यता नहीं दी है.


अब देश की मान्यता के लिए भी नियम है. 1993 के मोंटेवीडिया कंवेंशन के मुताबिक, जिसमें पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय कानून के हिस्से के रूप में दूसरे देशों ने स्वीकार किया हो, एक स्थाई आबादी हो, एक सरकार होनी चाहिए और अन्य देशों के साथ संबंध रखने की क्षमता भी होनी चाहिए. इसके लिए नित्यानंद ने इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर स्वीकृति लेने के लिए अपने देश कैलासा के प्रतिनिधियों को संयुक्त राष्ट्र में भेजा था लेकिन यूएन ने विजयप्रिया नित्यानंद की प्रजेंटेंशन को अप्रासंगिक करार दिया और कहा कि इन पर विचार नहीं किया जाएगा.


ऐसे में क्या है कैलासा की वास्तविक स्थिति?


अगर किसी देश को मान्यता नहीं मिलती है तो उसे माइक्रोनेशन यानि सूक्ष्म देश कहा जा सकता है. एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक, एक सूक्ष्म देश स्व-घोषित संस्था है जो स्वतंत्र संप्रभु राज्य होने का दावा करता है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय या संयुक्त राष्ट्र की मान्यता प्राप्त नहीं हैं. इंडिपेंडेंट के अनुसार, साल 2019 में दुनिया में लगभग 80 माइक्रोनेशन थे. इसमें एक उदाहरण भी पेश किया जिसमें 1980 के दशक से ओरेगॉन में एक अन्य भारतीय आध्यात्मिक गुरु रजनीश का रजनीशपुरम नाम का शहर है, जिसकी अपनी पुलिस, अग्निशमन विभाग और सार्वजनिक परिवहन था.


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