नई दिल्ली: दिल्ली दंगों से निजामुद्दीन मरकज के प्रॉपर्टी कनेक्शन का ख़ुलासा हुआ है. दिल्ली पुलिस की जांच में ख़ुलासा हुआ है कि राजधानी स्कूल के मालिक फैजल फारूक और मरकज के मुखिया मौलाना साद के फंड मैनेजर के बीच अहम रिश्ता है. मौलाना साद का एक रिश्तेदार भी फैजल के संपर्क में था. दंगे के दिन भी साद के करीबी और फैजल के बीच बात हुई थी. दंगों से पहले फैजल ने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के यमुना विहार और आसपास के इलाकों में करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी ख़रीदी थी. इनमें एक प्रॉपर्टी आठ करोड़ रुपए की और एक प्रॉपर्टी ₹10करोड़ की बताई गई है.
दिल्ली पुलिस को शक है कि मरकज का पैसा फैजल के जरिए प्रॉपर्टी में लगाया गया. पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या फैजल के जरिए दंगाइयों को पैसा बांटा गया था. फैजल तीन स्कूलों का मालिक बताया जा रहा है. फैजल फारूक के ख़िलाफ कल दिल्ली पुलिस ने कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी.
दिल्ली दंगों का मक़सद क्या था?
दिल्ली पुलिस ने अदालत में जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें साफ़ लिखा है कि दंगों को इसलिए अंजाम दिया गया क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर आने वाले थे. दंगे करवाकर भारत की छवि को खराब करना चाहते थे, और इसका मास्टरमाइंड आम आदमी पार्टी का निष्कासित पार्षद ताहिर हुसैन है. चार्जशीट के मुताबिक दंगाइयों ने चांदबाग़ इलाक़े में जमकर आगजनी की लेकिन ताहिर हुसैन के घर को किसी ने नहीं छुआ. ताहिर हुसैन ने पूछताछ में कबूल किया है कि वो CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के संपर्क में था. 8 जनवरी को वो यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के खालिद सैफ़ी और JNU छात्र उमर खालिद से शाहीन बाग में मिला. यहीं उमर ख़ालिद ने उसे अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान कुछ बड़ा करने के लिए तैयार रहने को कहा.
चार्जशीट के मुताबिक़ ताहिर हुसैन को ये भी कहा गया कि उमर खालिद और PFI के सदस्य इस काम में आर्थिक रूप से उसकी मदद करेंगे. ताहिर हुसैन ने खुलासा किया कि उसने अपनी मालिकाना हक वाली कंपनियों के खाते से करीब 1 करोड़ 10 लाख रुपये जनवरी के दूसरे हफ्ते में फर्जी कंपनियों में ट्रांसफर किये. उस पैसे को रोटेट करके कैश हासिल किया. फिर इसी पैसे से उसने दंगों की तैयारी शुरू की.
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