NMC New Guidelines: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने डॉक्टरों को लेकर गुरुवार (24 अगस्त) को गाइडलाइन जारी की. एनएमसी ने उन नियमों पर रोक लगा दी, जिनमें डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य किया गया है और उनके दवा कंपनियों से गिफ्ट स्वीकार करने या किसी दवा का प्रचार करने पर रोक है.


दरअसल हाल ही में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को चिट्ठी लिखकर सभी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित होने तक नुस्खों में जेनेरिक दवाएं अनिवार्य रूप से लिखने पर एनएमसी के नियमों को वापस लेने की मांग की थी. 


आईएमए ने क्या मांग की थी?
आईएमए ने उन नियमों पर भी चिंता व्यक्त की जो डॉक्टरों को फार्मा कंपनियों के प्रायोजित सम्मेलनों में भाग लेने से रोकते हैं. उसने मांग की कि संघों और संगठनों को एनएमसी नियमों के दायरे से छूट दी जानी चाहिए. 


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आईएमए और इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस के सदस्यों ने सोमवार (21 अगस्त) को मांडविया से मुलाकात की और एनएमसी के नियमों पर अपनी चिंता व्यक्त की. 






एनएमसी ने क्या नियम जारी किए थे?
एनएमसी ने अपने 'रजिस्टर्ड चिकित्सकों के व्यावसायिक आचरण से संबंधित विनियमों' में कहा है कि सभी डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखनी होंगी. ऐसा न करने पर उन्हें दंडित किया जाएगा और उनका लाइसेंस भी एक समय के लिए निलंबित किया जा सकता है.


इसमें डॉक्टरों से ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं लिखने से बचने को भी कहा गया है. 


एनएमसी के नियमों में यह भी कहा गया है, ‘‘पंजीकृत डॉक्टरों और उनके परिवारों को कोई उपहार, यात्रा सुविधाएं, नकदी या आर्थिक सहायता नहीं मिलनी चाहिए. किसी भी बहाने से उनकी पहुंच फार्मास्युटिकल कंपनियों या उनके प्रतिनिधियों, वाणिज्यिक स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों, चिकित्सा उपकरण कंपनियों या कॉर्पोरेट अस्पतालों की ओर से प्रदान किये जाने वाले मनोरंजन तक नहीं होनी चाहिए. ’’


आईएमए ने कहा है कि नैतिक आचरण और पक्षपात रहित प्रशिक्षण माहौल सुनिश्चित करने की मंशा वाजिब है, लेकिन फार्मास्युटिकल कंपनियों या स्वास्थ्य तंत्र के प्रायोजित तृतीय पक्षीय शिक्षण गतिविधियों पर सीधे-सीधे पाबंदी पर पुनर्विचार होना चाहिए. 


इनपुट भाषा से भी. 


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