(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
NMP Issue: राहुल गांधी के आरोपों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पलटवार, पूछा- क्या मौद्रिकरण को समझते हैं?
NMP Issue: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार की राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) पर सवाल उठा रहे हैं. इसको लेकर निर्मला सीतारमण ने पलटवार किया है.
NMP Issue: कांग्रेस नेता राहुल गांधी का राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को लेकर मोदी सरकार पर हमला जारी है. आज उन्होंने #IndiaOnSale के साथ ट्विटर पर लिखा, ''सबसे पहले ईमान बेचा और अब…'' इससे पहले मंगलवार को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 साल में जनता के पैसे से बनी देश की संपत्तियों को अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को बेच रहे हैं. अब इसको लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार किया है.
सबसे पहले ईमान बेचा और अब…#IndiaOnSale
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 25, 2021
एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा, ''क्या वह (राहुल गांधी) मौद्रिकरण को समझते हैं. वह कांग्रेस थी जिसने देश के संसाधनों को बेचा और उसमें रिश्वत प्राप्त की.'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 8,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे का मौद्रिकरण किया, 2008 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित किया गया था.
निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘अगर वह वास्तव में मौद्रिकरण के खिलाफ हैं, तो राहुल गांधी ने एनडीएलएस के मौद्रिकरण के आरएफपी को क्यों नहीं फाड़ दिया? अगर यह मौद्रिकरण है, तो क्या उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को बेच दिया? क्या अब इसका स्वामित्व जीजाजी के पास है? क्या उन्हें पता है कि मौद्रिकरण क्या है?’’ उन्होंने कांग्रेस को राष्ट्रमंडल खेलों की याद भी दिलाई.
सीतारमण ने कहा कि संपत्ति मौद्रिकरण योजना में संपत्ति को बेचना शामिल नहीं है, और संपत्ति सरकार को वापस सौंप दी जाएगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को छह लाख करोड़ रुपये की एनएमपी की घोषणा की थी. इसके तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियम का मौद्रिकरण शामिल हैं. सरकार का कहना है कि इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाये जायेंगे और संपत्तियों का विकास किया जायेगा.
इसको लेकर राहुल गांधी ने कहा है कि इन संपत्तियों को बनाने में 70 साल लगे हैं और इनमें देश की जनता का लाखों करोड़ों रुपये लगे हैं. अब इन्हें तीन-चार उद्योगपतियों को उपहार में दिया जा रहा है.
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ हम निजीकरण के खिलाफ नहीं है. हमारे समय निजीकरण विवेकपूर्ण था. उस समय रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्तियों का निजीकरण नहीं किया जाता था. जिन उद्योगों में बहुत नुकसान होता था, उसका हम निजीकरण करते थे.’’