Singhu Border Farmer Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान तो जरूर कर दिया लेकिन अभी भी किसान आंदोलन पर डटे हुए हैं. रविवार को दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों से जुड़े नेताओं ने एक बैठक की. जिसमें अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा हुई लेकिन फिलहाल आंदोलन वापसी को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ. इस बीच किसान संगठनों की तरफ से ये जरूर साफ कर दिया गया कि 22 नवंबर और 26 नवंबर को होने वाले कार्यक्रम उसी तरह किए जाएंगे.


सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों की हुई बैठक


दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों से जुड़े अलग-अलग नेताओं के करीब 2 घंटे तक बैठक चली बैठक के दौरान तमाम मुद्दों पर चर्चा हुई. चर्चा इस बात पर भी हुई कि प्रधानमंत्री के तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले के बाद अब इस आंदोलन को लेकर क्या तय करना है. इसी दौरान अधिकतर किसान संगठन के नेताओं ने कहा कि अभी सिर्फ प्रधानमंत्री ने ऐलान किया है और उस पर अमल होना बाकी है. लिहाजा जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते तब तक आंदोलन खत्म करना सही नहीं रहेगा. 


एमएसपी को लेकर कानून बनाने की मांग


इस बैठक के दौरान अधिकतर किसान नेताओं ने कहा प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान तो जरूर कर दिया लेकिन आंदोलनकारी किसानों की यही सिर्फ एक मांग नही थी. इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य को तय करने को लेकर भी कानून बनाने की मांग किसान सालों से करते रहें है और इस आंदोलन की शुरुआत से भी यह मांग लगातार की जा रही है. ऐसे में सरकार से बातचीत कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने को लेकर कोई ठोस आश्वासन दिया जाना जरूरी है.


40 से ज्यादा किसान संगठन से जुड़े नेताओं ने इन दोनों के साथ ही पराली जलाने को लेकर दर्ज मुकदमों को रद्द करने, बिजली संशोधन बिल को पास करवाने और आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देकर उनके परिवारों को उचित मुआवजा दिलवाने के साथ ही जिन लोगों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मुकदमे दर्ज हुए हैं उनके मुकदमे रद्द करवाने की मांग भी सरकार के सामने उठाने पर बात हुई.


किसान संगठनों के नेताओं की अगली बैठक 27 नवंबर को होगी. उससे पहले किसान संगठनों की बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक के दौरान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर सरकार क्या प्रस्ताव लेकर आती है उस पर भी नजर टिकी हुई है. 27 नवंबर को होने वाली बैठक के दौरान किसान संगठन संसद सत्र की शुरुआत में संसद घेराव का जो आह्वान किया गया था उस पर चर्चा करेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री ने तो तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग मान ली है ऐसे में अब यह किसान नेता 27 नवंबर को होने वाली बैठक के दौरान अपनी नई रणनीति पर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं.


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