तीन नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों पर केन्द्र सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार को हुई आठवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही. किसान संगठन जहां एक तरफ तीनों कृषि कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं, तो वहीं सरकार उनसे इनकी वापसी ना करने के अन्य विकल्प के बारे में पूछ रही थी. इस बीच केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान संगठनों के साथ अब अगली दौर का वार्ता 8 जनवरी को होगी.


उधर, अपनी मांगें मनवाने के लिए 40 दिनों से दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों ने सरकार के साथ सोमवार की वार्ता बेनतीजा होने के बाद अपने रुख और कड़ा कर लिया. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा- तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी की हमारी मागों पर चर्चा हुई. तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। हमने बता दिया है क़ानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं.





गौरतलब है कि सितंबर महीने में केन्द्र सरकार की तरफ से विपक्ष के भारी विरोध के बीच संसद में पास कराए गए इन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी और दिल्ली-हरियाणा सीमा पर हजारों की तादाद में किसान आंदोलन कर रहे हैं. इन किसानों की मांग है कि सरकार तीनों ने कृषि सुधार संबंधी कानूनों को वापस ले और एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाए.


उधर, सरकार का तर्क है कि इन तीनों कृषि कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश के नए अवसर खुलेंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी. जबकि, किसानों को डर है कि इन कानूनों के जरिए सरकार देश की मंडी व्यवस्था को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के भरोसे छोड़ दिया जाएगा.


किसानों के नए कानूनों पर विरोध प्रदर्शन के बीच कई राजनीतिक दलों  की तरफ से भी इसका विरोध किया जा रहा है. एक दिन पहले ही रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कृषि संबंधी कानूनों की वापसी को लेकर केन्द्र सरकार पर हमला बोला. गौरतलब है कि कृषि कानूनों के चलते ही एनडीए के महत्वपूर्ण घटक अकाली दल सरकार के अलग हो चुके हैं. इसके अलावा, एनडीए की सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी इस मुद्दे पर अलग हो चुकी है.


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