जेल भेजा गया आशीष पांडे, कोर्ट ने कहा- हथियार का लाइसेंस लोगों को धमकाने के लिए नहीं मिलता
आशीष पांडे की तरफ से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील हरिहरन ने तमाम दलीलें दीं. उन्होंने कहा, किसी ने भी धमकाने की शिकायत दर्ज नहीं कराई थी.
नई दिल्ली: दिल्ली के फाइव स्टार होटल में हथियार लहराने और लोगों को धमकाने का आरोपी आशीष पांडे न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है. कोर्ट ने उसे 22 तारीख को दोबारा पेश करने को कहा है. कल आशीष ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में समर्पण किया था. उसे 1 दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया था. आज उसे फिर कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने पुलिस हिरासत बढ़ाने की मांग ठुकरा दी. वहीं आशीष को जमानत देने से भी मना कर दिया.
आशीष पांडे की तरफ से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील हरिहरन ने तमाम दलीलें दीं. उन्होंने कहा, किसी ने भी धमकाने की शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. जिन लोगों को धमकाए जाने का आरोप है, उन्होंने घटना के बाद आराम से डिनर किया. अगर वो डरे होते तो पुलिस को बुलाते, न कि खाना खाते. ये आईपीसी की धारा 506 यानी धमकी का मामला नहीं बनता. पुलिस ने वीडियो सामने आने के बाद अपनी सक्रियता दिखाने के लिए केस बनाया है.
हरिहरन ने कहा, जिस हथियार के इस्तेमाल का आरोप है उसे बरामद कर लिया गया है. वो लाइसेंसी हथियार है. उसका लाइसेंस भी ज़ब्त कर लिया गया है. पुलिस गाड़ी भी बरामद कर चुकी है. उसके पास पूछताछ के लिए कोई नई बात नहीं है. इसलिए, पुलिस हिरासत खत्म की जाए और आशीष को जमानत पर रिहा कर दिया जाए.
पुलिस के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है. जो लाइसेंस ज़ब्त किया गया है, उसका वेरिफिकेशन बाकी है. घटना के दौरान जो लड़कियां आशीष के साथ मौजूद थीं, उनकी केस में भूमिका की भी जांच होनी है. उनके साथ किस तरह का आर्थिक लेन-देन आशीष की तरफ से किया गया, ये भी देखा जाना बाकी है. उसे लखनऊ और दूसरी जगह पर ले जाकर इस बात को भी देखना होगा कि गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद वो किन जगहों पर छुपा रहा. इसलिए, पुलिस रिमांड बढ़ा दी जाए.
जज ने पुलिस के वकील की दलीलें ठुकरा दी. कहा, हथियार, लाइसेंस और गाड़ी बरामद किए जा चुके हैं. पूछताछ के लिए फिलहाल कोई नई बात नज़र नहीं आती है. लड़कियों के साथ आशीष के आर्थिक लेन-देन की इस मामले में कोई भूमिका नहीं लगती. हथियार के लाइसेंस का वेरिफिकेशन करने के लिए उसे पुलिस की हिरासत में रखना जरूरी नहीं है.
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जज ने आगे कहा, आरोपी को लखनऊ और दूसरी जगह पर ले जाने की बात जो पुलिस की तरफ से कहीं जा रही है, वो लिखित अर्जी में नहीं है. ये सिर्फ ज़बानी तौर पर कहा गया है. फिलहाल, पुलिस रिमांड में आरोपी को भेजे जाने का कोई आधार नजर नहीं आता.
जज की इस टिप्पणी के बाद आशीष के वकील ने उसे जमानत देने की मांग दोहराई. लेकिन जज ने जमानत अर्जी भी ठुकरा दी. उन्होंने कहा, FIR के तथ्यों से ये बात उभर कर सामने आती है कि आरोपी को अपने पास हथियार होने का घमंड था. उसने गैर जिम्मेदाराना तरीके से बर्ताव किया. हथियार का लाइसेंस निजी सुरक्षा के लिए दिया जाता है. इसलिए नहीं कि उसे खुलेआम दिखाया जाए और लोगों को धमकाया जाए. जांच अभी शुरुआती दौर में है. इस समय जमानत का कोई आधार नहीं बनता. आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा जाए. उसे सोमवार 22 अक्टूबर को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाए.
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