नई दिल्ली: कोरोना के लिए बनी नेशनल टास्क फोर्स ने कोरोना के इलाज में प्लाज्मा को क्लिनिकल प्रोटोकॉल में नहीं रखा है. इसके पीछे वजह है इसका कोरोना के इलाज में कोई फायदा नहीं होना. इस फैसले से पहले कई डेटा और साइंटिफिक एविडेंस देखे गए, जिसके बाद यह फैसला हुआ. इस फैसले को लेकर आईसीएमआर के वैज्ञानिक और प्लाज्मा रिसर्च से जुड़ी डॉ. अपर्णा मुखर्जी ने एबीपी न्यूज़ से खास बात की.
सवाल- इस प्लाज्मा थेरेपी को पहले बहुत लोगों ने इस्तेमाल किया लेकिन अब इसे इलाज में नहीं रखा गया है, ऐसा क्यों और क्या वजह है इसके पीछे?
जवाब- पिछले एक साल से बहुत सारी स्टडीज प्लाज्मा पर आ रही हैं. उसमें देखा जा रहा है कि आप प्लाज्मा दीजिए या मत दीजिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. जिसके कारण ये गाइडलाइन आई हैं.
सवाल- भारत में कई लोगों ने प्लाज्मा दिया और प्लाज्मा के जरिए इलाज हुआ. प्लाज्मा से कई लोग ठीक भी हुए तो इसे अब क्यों हटाया गया.
जवाब- क्योंकि ये नई बीमारी है. इसलिए हमने शुरू में प्लाज्मा की स्टडी की. लेकिन जैसे-जैसे समय निकला तब कई स्टडी में ये सामने आ गया कि इसका कोई फायदा नहीं है, इसलिए इसे हटाया.
सवाल- जिन लोगों ने प्लाज्मा लिया क्या उनको नुकसान होगा?
जवाब- कई बीमारियों में प्लाज्मा का इस्तेमाल हो रहा है. इसके कुछ साइड इफेक्ट जरूर होते हैं और कुछ घंटे बाद दिखाई देते हैं, जैसे एलर्जी आदि. हालांकि हमारे देश में अभी तक जो प्लाज्मा दिए गए हैं उससे नुकसान के मामले नहीं मिले है लेकिन फायदे के मामले भी नहीं है.
सवाल- आपने टास्क फोर्स के सामने एविडेंस रखे. ऐसा क्या डेटा था कि टास्क फोर्स मान गयी कि प्लाज्मा कोविड के इलाज में शामिल नहीं होगा.
जवाब- अब तक कई अलग-अलग देशों से जो स्टडी सामने आई, उनका विश्लेषण किया गया और देखा गया कि इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा है. ये ही सारे एविडेंस NTF ने देखे और उसके आधार पर ये फैसला लिया गया.
सवाल- अब प्लाज्मा नहीं है तो आगे किस तरह से ट्रीटमेंट किया जा सकेगा?
जवाब- बाकी गाइडलाइन जैसी थी वैसी ही हैं. हमारे पास इस बीमारी का कोई ठोस इलाज नहीं है. इसलिए कोविड से बचाव के तरीके अपनाना ही हथियार है. वहीं ज्यादा गंभीर स्थिति में वेंटिलेशन या प्रोनिंग से फायदा मिल रहा है.
सवाल- जिन्होंने प्लाज्मा लिया, उनके मन में ये सवाल उठेगा कि अब इसका इस्तेमाल क्यों बंद कर दिया गया, उनको कैसे समझाया जाए?
जवाब- हम बार-बार ये बात कह रहे हैं कि इसे इसलिए नहीं मना किया गया कि इसमें कोई खतरा है. ब्लड प्रोडक्ट के कुछ साइड इफेक्ट होते हैं. हम ये नहीं कह रहे की इससे कोई नुकसान है लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हो रहा, जितनी कोशिश करते हैं प्लाज्मा का इंतजाम करने की उससे फायदा नहीं हो रहा है.
सवाल- ये कब से लागू होगा?
जवाब- ये सुझाव है. हम इसको लागू नहीं कर सकते. हम सिर्फ सुझाव दे रहे हैं कि एविडेंस के आधार पर ऐसा होना चाहिए.