केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ से कहा कि सरकार ने वित्तीय प्रभाव वाला एक नीतिगत फैसला ले लिया है और न्यायिक पक्ष पर इसकी समीक्षा नहीं की जानी चाहिए.
उन्होंने याचिकाएं खारिज करने की मांग करते हुए कहा, ‘‘ हम ओआरओपी फॉर्मूला की समीक्षा नहीं करेंगे. सरकार पहले ही बहुत कुछ कर चुकी है. काफी विचार विमर्श के बाद 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि मंजूर की गई. इसका सरकारी खजाने पर बड़ा असर पड़ेगा और किसी तरह के हस्तक्षेप से हम पर और बोझ पड़ेगा.’’
इंडियन एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट (आईईएसएम) की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने कहा कि वह याचिका बनाए रखने और उसके गुणदोष दोनों पर बहस करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ चार हफ्तों के बाद मामला अंतिम निपटान के लिए सूचीबद्ध होने दें. तब तक विस्तार से बहस पूरी हो जाएगी.’’
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