श्रीनगर: गुरु पूर्णिमा पर पवित्र छड़ी मुबारक की स्थापना और भूमि पूजा के बाद भी 2020 की अमरनाथ यात्रा को लेकर अभी भी असमंजस बना हुआ है. पहली पूजा के साथ ही विधि अनुसार यात्रा शुरू हो गयी है, लेकिन यात्रा में श्रद्धालु कब शामिल हो सकेंगे. इस बात की कोई सूचना नहीं है. लगातार दूसरे साल अमरनाथ यात्रा सुचारू रूप से नहीं हो सकी है. पिछले साल भी धारा 370 हटाने के चलते यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया था.


सूत्रों के अनुसार 23 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा को अब 21 जुलाई से शुरू करने का प्रस्ताव है, लेकिन इस बारे में भी कोई आधिकारिक पुष्टि करने को तैयार नहीं है. कोरोना के चलते 48 दिन की यात्रा को कम करके 14 दिन कर दिया जाएगा. मामले अब जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट तक जा चुका है. कोर्ट ने सरकार से कोरोना के खतरे के बीच यात्रा के लिए किए गए इंतजामों के बारे में जानकारी मांगी है.


प्रशासन पहले ही कह चुका है पहलगाम के रास्ते यात्रा नहीं होगी
यात्रा का संचालन करने वाले श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड, (जिसके अध्यक्ष उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू  हैं)  ने रविवार को गुफा पर हुई पहली पूजा के बाद यात्रा शुरू होने की घोषणा कर दी लेकिन यह साफ़ नहीं किया कि आखिर भक्त कब दर्शन के लिए जा सकेंगे जिससे लोगों में काफी निराशा फैल गई है. प्रशासन ने पहले ही साफ़ कर दिया है कि यात्रा शुरू होने की स्थिति में पारंपरिक पहलगाम के रास्ते यात्रा नहीं होगी.


इस फैसले का असर यात्रा की परंपरा पर नहीं पड़े, इसके लिए 5 जुलाई को पहलगाम में पवित्र छड़ी की पहली पूजा हुई, विधि अनुसार 31 जुलाई को एक बार फिर से छड़ी को पहलगाम के रास्ते गुफा तक ले जाया जाएगा, लेकिन इस बार लोगों की भीड़ नज़र नहीं आ रही. यात्रा के संचालक दशनामी अखाड़े के महंत, दीपेंद्र गिरी के अनुसार फिलहाल सरकार के सामने कोरोना में यात्रा के संचालन की विकेट समस्या है. उन्होंने कहा कि भक्तों के आने या ना आने पर फैसला सरकार करेगी.


इस फैसले से पहलगाम में स्थानीय घोड़े वाले और टैक्सी चालक खासे निराश हैं. इनका कहना है कि पूरे साल वह अमरनाथ यात्रा के आने का इंतजार करते हैं और यात्रा के दौरान अच्छी खासी कमाई भी करते हैं. लेकिन पिछले साल 5 अगस्त के बाद से उन का जीवन रुक गया है. पहले धारा 370 हटने के कारण लगे कर्फ्यू और अब कोरोना के चलते पहलगाम खाली है. इन सभी लोगों को उम्मीद थी कि यात्रा- भले ही कम संख्या में हों लेकिन उनकी कमाई में मदद करेगी. पर उस पर भी प्रशासन के पहलगाम से यात्रा ना करवाने के फैसले ने चोट पहुंचा दी है और ये लोग कमाई की इस आखिरी उम्मीद से भी दूर हो गए हैं.


अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार कोरोना के चलते जहां प्रशासन पर इस से निपटने की प्राथमिकता है, वहीं यात्रा के संचालन के लिए ज़रूरी साधन भी पर्याप्त नहीं थे. ना तो पूरी संख्या में स्वस्थकर्मी थे और ना ही सुरक्षा के लिए अतरिक्त बलों को बिना खतरे के लाना संभव था. इसलिए केवल बालटाल के छोटे रास्ते से भक्तों को दर्शन के लिए जाने की अनुमति पर सहमति हुई थी.


बालटाल कैंप में यात्रियों के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं
जिसके बाद ही गांदरबल में ना सिर्फ सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं बल्कि बालटाल के बेस कैंप में भी यात्रियों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है. गांदरबल के एसएसपी खलील पोसवाल के अनुसार यात्रा के सुरक्षा प्लान तैयार है और हर तरह के हालात से निपटने के लिए प्लान B भी तैयार है. जिसके चलते कोरोना अस्पतालों की तैयारी और अतरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती भी हो चुकी है. बस अब इंतजार है कि कब प्रशासन यात्रा को आम लोगो के लिए खोलेगा.


इस बार बालटाल में लगने वाले लंगरों में से केवल दो ही लंगर लगाए गए हैं जहां पर कोरोना के चलते सभी तरह की सावधानी भर्ती जा रही है. सैनिटाइजर से लेकर पीपीई  किट तक का इंतजाम किया गया है लेकिन सुरक्षा प्रावधानों के चलते इन लंगर में किसी को भी रुकने की अनुमति नहीं होगी.


लंगर चलने वाले सुरेंद्र कुमार के अनुसार आम दिनों में उनके लंगरों में ना सिर्फ खाने पीने का इंतजाम होता है, लेकिन इस के साथ-साथ यहां पर यात्रियों के रुकने की भी व्यवस्था रहती है. उनको उम्मीद है कि जल्दी ही प्रशासन यात्रा को खोल देगा और यात्रियों को रुकने की भी अनुमति मिल जाएगी.


लेकिन यात्रा के आम लोगों के लिए खोले जाने के बाद भी कोरोना लॉकडाउन के सख्त नियमों के चलते आने वाले श्रद्धालुओं को खासी दिक्कतों का सामना करना होगा. जम्मू से आने वाले यात्रियों का कोरोना टेस्ट कठुआ में जाना होगा और रिपोर्ट आने तक उनको वहीं पर क्वारंटीन में रहना होगा. हवाई रास्ते आने वालो के लिए यह प्रक्रिया जम्मू और श्रीनगर के हवाई अड्डों पर होगी और केवल कोरोना टेस्ट नेगेटिव आने पर ही यात्रा पर जाने की अनुमति होगी.


इस के साथ साथ यात्रा शरू होने की सूरत में केवल 500 लोगों को एक दिन में यात्रा पर जाने की अनुमति होगी. आम दिनों में यह संख्या प्रति दिन दस हज़ार होती थी जिनमें से पांच हज़ार पहलगाम और पांच हज़ार बालटाल के रस्ते दर्शन के लिए जाते थे.


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