नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रमज़ान के दौरान एक तरफा युद्धविराम की मांग पर राज्य में सुरक्षा बलों के ऑपेरशन रोकने का फैसला लेने में क्या मोदी सरकार ने सुरक्षा बलों की राय को नजरअंदाज किया है? गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्विटर के ज़रिए रमज़ान के महीने में जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चल रहे ऑपेरशन ऑल आउट के तहत कार्रवाई रोकने के लिए सुरक्षा बलों को निर्देश देने की जानकारी दी है.


लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस फैसले पर मुहर आज सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी की बैठक में लगी. इसमें प्रधानमंत्री मोदी ने शर्तों के साथ ऑपेरशन पर रोक लगाने के तमाम पहलुओं पर विचार किया. सुरक्षा बलों के विरोध को देखते हुए हमले की सूरत में जवाबी कार्रवाई की छूट सहित दूसरे शर्तों को जोड़ा गया और उसके बाद प्रस्ताव पर मुहर लगी. फैसले के मुताबिक सिर्फ आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों के ऑपेरशन पर रोक लगी है. लेकिन आतंकी अगर कहीं भी हमला करते हैं तो सुरक्षा बल जवाबी कर्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं.

इतना ही नहीं अगर आम नागरिकों और सुरक्षा बलों के जान पर कोई भी खतरा होता है सेना और सुरक्षा बल की सीधे कार्रवाई पर कोई रोक नहीं है.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह भले ही दलील दें कि फैसला रमज़ान के दौरान हिंसा रोकने और अलगावादियों को अलग थलग करने के लिए लिया गया है लेकिन मोदी सरकार के उच्च सूत्र ये मानते हैं कि इस फैसले पर केंद्र सरकार और सुरक्षा महकमे के बीच एक राय नहीं थी. सुरक्षा बलों ने ऑपेरशन आल ऑउट पर किसी भी रोक के खिलाफ अपनी राय दी थी और युद्धविराम की मांग को खारिज़ करने की सलाह दी थी.

दरअसल जिस तरीके से इस मांग को मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार तक पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लिया था उससे केंद्र सरकार को आपत्ति थी और केंद्र की नाराज़गी को दूर करने के लिए महबूबा मुफ्ती ने एनएसए अजीत डोवाल और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर कई बार बात की.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एनएसए डोवाल को अपना पक्ष बताते हुए कहा कि सुरक्षा बलों की आपत्तियों के मद्देनज़र वो केंद्र प्रस्ताव में जरूरी शर्त जोड़ सकती है. महबूबा की दलील थी कि एकतरफा युद्धविराम से आतंकियो और अलगाववादियों को अलग थलग किया जा सकता है. अगर केंद इस मांग को नकारती है तो मुख्यमंत्री के लिए कश्मीरी अवाम में उनकी पकड़ कमज़ोर होगी.

सूत्रों के मुताबिक़ गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की राय को मानने के पक्ष में थे और उन्होंने इसके लिए कैबिनेट कमिटी को इस बात के लिए राजी किया है. सूत्रों के मुताबिक पुख्ता खुफ़िया सूचना पर भी सुरक्षा बल आतंकियों पर कर्रवाई आम नागरिकों की सुरक्षा के शर्तों के साथ कर सकेंगे. सिर्फ ऑपेरशन ऑल आउट के तहत कॉर्डन एंड सर्च ऑपेरशन पर रोक लगी है.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह के एलान के बाद एनएसए अतीत डोवाल, गृहसचिव राजीव गौबा, तमाम खुफिया और सुरक्षा बलों के प्रमुखों के साथ इस फैसले पर एनएसए के कंट्रोल रूम में बैठक हुई जिसमें ऑपेरशन पर रोक लगाने के फैसले को लागू करने की चुनौती पर विचार किया गया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए आतंकियों के खिलाफ ऑपेरशन में जुटे सुरक्षा बलों के कमांडरों को इस फैसले को लागू करने की चुनौती की जानकारी दी है. अब सुरक्षा बलों के लिए ये चुनौती है कि आतंकी इस फैसले का फायदा उठाकर खुद को मजबूत न कर सकें.