नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. जिसे लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भारी हंगामें के बीच स्वीकार कर लिया. टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस, सीपीएम, एनसीपी और आरएसपी ने सहमति जताई है. पिछले चार साल में पहली बार है जब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है.


विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार चर्चा के लिए तैयार है. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा, ''हम चर्चा के लिए तैयार हैं.'' अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए समय और तारीख आज बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में तय की जाएगी.


अविश्वास प्रस्ताव का हश्र क्या होगा ?
केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास पूर्ण बहुमत है. ऐसे में साफ है कि मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा. मोदी सरकार को 312 सदस्यों का समर्थन हासिल है और खुद बीजेपी के पास जरूरी 268 सीटों से 4 सीट ज्यादा यानी 272 सीटें हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश और बिहार में हुए उप चुनावों में हारने के बाद बीजेपी के 272 सदस्य हैं. इसके सहयोगी दलों के 40 सदस्यों को मिला दिया जाए तो यह संख्या 312 पर पहुंच जाती है.


इसमें शिवसेना (18) को भी शामिल किया गया है, जिसने अभी तक खुलासा नहीं किया है कि अविश्वास प्रस्ताव पर उसका क्या रुख होगा. एनडीए के सहयोगियों में लोक जनशक्ति पार्टी (6), अकाली दल (4), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (3), अपना दल (2), जनता दल-युनाइटेड (2) और ऑल इंडिया एन.आर. कांग्रेस (एआईएनआरसी), जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (जेकेपीडीपी), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), पटाल्ली मक्कल काची (पीएमके), सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के एक-एक सांसद शामिल हैं. एआईएडीएमके, जिसने 2014 में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन आम तौर पर इसे केंद्र की बीजेपी सरकार का सहयोगी माना जाता है, के पास 37 सांसद हैं.


अविश्वास प्रस्ताव क्यों?
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पूर्व सहयोगी टीडीपी ने आज से शुरू हुए मानसून सत्र से पहले कहा था कि वह अपनी मांगों के आगे नहीं झुकेगी. हम अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे. सोमवार को टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू ने कहा था, ‘‘बीजेपी नीत एनडीए सरकार का हठी रवैया जारी रहने के चलते टीडीपी ने संसद के आगामी मानसून सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय किया है.''


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टीडीपी के सांसदों ने पिछले दिनों अविश्वास प्रस्ताव पर समर्थन के लिए बीजेपी की सहयोगी शिवसेना से भी मुलाकात की थी. साथ ही पार्टी के सांसदों ने ज्यादातर विपक्षी दलों से अविश्वास प्रस्ताव पर मदद की अपील की थी.


ध्यान रहे की मानसून सत्र से पहले बजट सत्र भी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने समेत अन्य मुद्दों पर हंगामें की भेंट चढ़ गया था. आज भी जब मानसून सत्र की शुरुआत हुई तो विपक्षी दलों ने मॉब लिंचिंग और विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने को लेकर हंगामा किया. जिसके बाद दोपहर होते होते लोकसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. आंध्र प्रदेश को सत्तारूढ़ टीडीपी समेत अन्य सभी पार्टियां वाईएसआर कांग्रेस और कांग्रेस विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग कर रही है.


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