नई दिल्ली: किसान बिल के दौरान राज्यसभा में हंगामे के बाद 14 दलों के 46 सांसदों ने उपसभापति हरिवंश कुमार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग की थी, जिसे नियमों का हवाला देते हुए सभापति एम वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया. सभापति के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 90 (सी) के प्रावधानों के अनुसार, प्रस्ताव को स्थानांतरित करने के लिए 14 दिन के नोटिस अवधि की आवश्यकता होती है. जबकि "1 अक्टूबर, 2020 को सदन स्थगित होने वाला है, इसलिए नोटिस 14 दिनों की आवश्यक अवधि को पूरा नहीं करता है, इसलिए, मैं नियम देता हूं कि एलओपी और अन्य सदस्यों की ओर से दिया गया प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है."


बता दें कि आज राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में अव्यवस्थित घटनाओं पर नाराज़गी जताई. उन्होंने कहा कि कल जो हुआ उससे संसद की छवि धूमिल हुई है. उप सभापति के साथ दुर्व्यवहार किया गया, उन्हें नुकसान पहुंचाया गया. अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए अध्यक्ष ने कहा, "इससे मुझे बहुत पीड़ा हुई, क्योंकि कल सदन में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण, अस्वीकार्य और निंदनीय है."


नायडू ने यह भी कहा कि उन्हें विपक्ष के नेता और राज्यसभा के 46 अन्य सदस्यों से एक पत्र मिला है, जिसमें उप सभापति पर कोई विश्वास नहीं है और उन्हें हटाने के लिए एक प्रस्ताव लाने की इच्छा है. सभापति ने कहा कि वह उप सभापति पर लगाए गए आरोपों के मामले में कल आयोजित सदन की पूरी कार्यवाही से वाकिफ हैं. उन्होंने कहा कि उप सभापति ने सदस्यों से लगातार अपनी सीटों पर जाने और बहस में भाग लेने और संशोधनों को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था.


उन्होंने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 90 (सी) के प्रावधानों के अनुसार, प्रस्ताव को स्थानांतरित करने के लिए 14 दिन के नोटिस अवधि की आवश्यकता थी. 1 अक्टूबर, 2020 को सदन स्थगित होने वाला है, इसलिए नोटिस 14 दिनों की आवश्यक अवधि को पूरा नहीं करता है, इसलिए, मैं नियम देता हूं कि एलओपी और अन्य सदस्यों द्वारा दिया गया प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है."


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