तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा में पिनरई विजयन सरकार के खिलाफ कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 40 के मुकाबले 87 मतों से गिर गया. 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में नौ घंटे तक चली बहस के बाद मतविभाजन में इस प्रस्ताव के विरोध में 87 वोट पड़े जबकि पक्ष में महज 40 मत ही पड़े.


यूडीएफ की सहयोगी केरल कांग्रेस जोश के मणि गुट के दो सदस्य मतविभाजन के दौरान अनुपस्थित रहे. बीजेपी के एकमात्र सदस्य ओ राजगोपालन ने भी मत विभाजजन में हिस्सा नहीं लिया.


विपक्षी गठबंधन वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार के खिलाफ विशेषकर सोने की तस्करी मामले समेत कई आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाया था.


कांग्रेस विधायक वी डी सतीशन ने यह कहते हुए प्रस्ताव पेश किया कि सोने की तस्करी करने वाले गिरोह ने मुख्यमंत्री कार्यालय को “हाईजैक” कर लिया है. सतीशन ने कहा, “मुख्यमंत्री जब प्रेस वार्ता में थे और कह रहे थे कि सरकार में सब कुछ ठीक है और वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं, तब उनके पूर्व प्रधान सचिव से जांच एजेंसियां कई घंटे से पूछताछ कर रही थीं.”


उन्होंने कहा कि मंत्री और मुख्यमंत्री सोने की तस्करी के मामले में “सारा दोष निलंबित वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एवं पूर्व आईटी सचिव एम शिवशंकर के मत्थे मढ़ना चाहते हैं.”


सोने की तस्करी के मामले के तार कथित तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े होने के आरोपों के कारण राज्य सरकार को विपक्षी दलों कांग्रेस और भाजपा की कड़ी आलोचना का शिकार होना पड़ा है.


पिनरई विजयन सरकार को सत्ता में आए चार साल हो गए हैं और इस दौरान पहली बार आए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीरामकृष्णन ने पांच घंटे का समय दिया. लंबी बहस हुई और इस दौरान मुख्यमंत्री ने कांग्रेस को निशाने पर लिया.