अविश्वास प्रस्ताव के बहाने मोदी सरकार ने देश के सामने अपनी बात रख दी और चार साल के काम की उपलब्धियां देश को बताने का उसे बड़ा मौका भी मिल गया. मनोवैज्ञानिक तौर पर सरकार ने साबित कर दिया कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के सामने कोई नहीं टिकेगा. इतना ही नहीं अविश्वास प्रस्ताव के बहाने बीजेपी यह भी समझा गई है कि शिवसेना और बीजेडी जैसे बड़े क्षेत्रीय दल 2019 में उसका साथ देंगे, ये भी असंभव लग रहा है.
कल लोकसभा में राहुल गांधी के बयान से तय हो गया है कि साल 2019 का चुनाव 2014 के चुनाव की तरह राहुल बनाम मोदी के ढर्रे पर ही लड़ा जाएगा. राहुल का ये बयान सदन में दिए गए उनके पिछले बयानों से काफी अलग भी था और आक्रामक भी.
अविश्वास प्रस्ताव को 2019 में भुनाएगी मोदी सरकार
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी सरकार का प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अविश्वास प्रस्ताव के रूप में नया हथियार मिल गया है. पीएम मोदी ये बात पहले से जानते कि अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग में उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन विपक्ष को घेरने का मौका मिल जाएगा. सरकार आने वाले लोकसभा चुनाव के प्रचार प्रसार में जनता के सामने जोर शोर से अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की हार का जिक्र करेगी. पीएम मोदी ने यह बात कही भाषण में भी कही, ''मैं समझता हूं कि ये अच्छा मौका है कि हमें तो अपनी बात रखने का मौका मिला. इसके साथ ही देश को ये देखने को भी मिला है कि कैसे नकारात्मक राजनीति ने कुछ लोगों को घेर कर रखा है.’’
विपक्ष पर हावी होने की कोशिश
राहुल गांधी के आरोपों पर कल पीएम मोदी ने 2024 तक का जिक्र कर दिया. पीएम मोदी ने कहा, ''आजकल शिव भक्ति की बात हो रही हैं, मैं भगवान शिव और देश की जनता से प्रार्थना करता हूं कि आपको इतनी शक्ति दें कि 2024 में फिर से आप अविश्वास प्रस्ताव ले आएं. मेरी आपको शुभकामनाएं हैं.'' पीएम मोदी ने ये बात राहुल के उस बयान पर कही थी जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी, बीजेपी और आरएसएस ने मुझे हिंदू होने और शिवजी का मतलब समझाया है. भाषण खत्म करते करते राहुल ने यह भी कहा था कि साल 2019 के चुनाव में पूरा विपक्ष मिलकर मोदी सरकार को शिकस्त देगा. लेकिन पीएम मोदी अपने जवाब में ये अहसार करा गए कि विपक्ष अभी इ़तना भी मजबूत नही हुआ है उन्हें हरा सके.
महागठबंधन की एकता पर सवाल
पिछले कई लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में बीजेपी को महागठबंधन से टक्कर मिली है. एक जुट विपक्ष साल 2019 में सरकार के लिए कोई मुसीबत ना खड़ी कर दे इसलिए मोदी ने महागठबंधन पर हमला करते हुए कहा, ''कहा जा रहा है कि 2019 में अगर कांग्रेस सबसे बड़ा दल बनती है तो मैं (राहुल गांधी) प्रधानमंत्री बनूंगा लेकिन, दूसरों की भी ढेर सारी ख्वाहिशें हैं, उनका क्या होगा? इसे लेकर भ्रम की स्थिति है. ये सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है. कांग्रेस के तथाकथित साथियों का टेस्ट है, मैं ही प्रधानमंत्री बनूंगा, इस सपने का फ्लोर टेस्ट है.’’ पीएम अपने तरीके से महागठबंधन के दलों को ये संदेश दे रहे थे कि कांग्रेस उनका साथ राहुल गांधी को पीएम बनाने के लिए दे रही है. जाहिर है नेतृत्व औऱ महागठबंधन का चेहरा एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब अभी तक विपक्ष नही ढूंढ़ पाया है.
राहुल के भाषण से तय हुए साल 2019 के मुद्दे!
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण से काफी हद तक तय़ हो गया है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के क्या मुद्दे रहने वाले हैं. राहुल ने कल अपने भाषण में डोकलाम, राफेल डील जैसे मामलों पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया. इतना ही नहीं किसान, रोजगार, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर राहुल ने खुलकर अपने तेवर दिखाए और मोदी सरकार को याद दिलाया कि जो वादे आपने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में किए थो वो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं.
राफेल डील
भ्रष्टाचार को लेकर राहुल ने पीएम मोदी को कटघरे में लाने की कोशिश की. उन्होंने कहा, ''हमारी यूपीए की डील में राफेल हवाई जहाज का दाम 520 करोड़ रुपये प्रति हवाई जहाज था. पता नहीं क्या हुआ किससे बात हुई, प्रधानमंत्री जी फ्रांस गए, वहां किसके साथ गए पूरा देश जानता है. इसके बाद जादू से हवाई जहाज का दाम 1600 करोड़ रुपये हो गया. मैं खुद फ्रांस के राष्ट्रपति से मिला और मैंने उनसे ये पूछा कि क्या ऐसा कोई समझौता फ्रांस और भारत की सरकार में है? फ्रांस के राष्ट्रपति ने बताया कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ. उन्होंने मुझे कहा कि अगर आप पूरे देश को बताते हैं तो हमें कोई ऐतराज नहीं है. प्रधानमंत्री के दबाव में आकर निर्मला सीतारमण जी ने देश से झूठ बोला है.''
रोजगार
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में युवाओं को रोजगार का मुद्दा भी छाया रहेगा. राहुल ने कल इसको लेकर कहा था, ''5 लाख रुपए औऱ रोजगार देने का वादा सिर्फ जुमला है. प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं रोज़गार की बात करते हैं. कभी कहते हैं पकौड़े बनाओ कभी कहते हैं दुकान खोलो. रोज़गार कौन लायेगा? हिन्दुस्तान के युवाओं ने प्रधानमंत्री जी पर भरोसा किया था. अपने भाषण में प्रधानमंत्री जी ने कहा था हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोज़गार दूंगा.’’
कारोबारी बनाम किसान
राहुल गांधी ने संसद में कारोबारियों और किसानों का मुद्दा आक्रामक ढंग से उठाया. . जो दस बीस बिजनेस मैन हैं उनकी ये मदद करते हैं लेकिन जो छोटे दुकानदारों, गरीबों और किसानों के दिल में है उसके लिए इनके दिल में थोड़ी सी भी जगह नहीं है. मोदी सरकार को किसानों का कर्जा माफ करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने करोड़पतियों के कर्जे माफ कर दिए. प्रधानमंत्री ने किसानों को नजरंदाज करते हुए अपने कारोबारी मित्रों को फायदा पहुंचाया है.
भीड़ की हिंसा
लिंचिंग का जिक्र करते हुए राहुल ने दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर मोदी पर हमला बोला. साफ है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस हर तबके को साधने में जुट गई है.
जय शाह के बहाने अमित शाह पर निशाना
राहुल गांधी ने अमित शाह के बेटे जय शाह की आमदनी का मुद्दा उठाते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि मैं देश का चौकीदार हूं मगर जब अमित शाह के पुत्र जय शाह ने 16000 गुना अपनी आमदनी को बढ़ाता है तो प्रधानमंत्री के मुंह से एक शब्द नहीं निकलता.'' जाहिर है राहुल आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मोदी सराकर को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते. जय शाह मामले का शोर इन चुनावों में भी सुनने को मिलेगा.
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