अविश्वास प्रस्ताव: मोदी सरकार के खिलाफ हारी लड़ाई लड़ रहे हैं 'लड़ाके'
शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने सरकार के 4 साल के कामकाज और देश के माहौल के मुद्दे पर निशाना साधने की रणनीति बनाई है.
नई दिल्ली: अविश्वास प्रस्ताव के नंबर न होने के बावजूद विपक्ष मोदी सरकार पर हमले को तैयार है. शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने सरकार के 4 साल के कामकाज और देश के माहौल के मुद्दे पर निशाना साधने की रणनीति बनाई है. विपक्ष की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे.
आंकड़ो के खेल में लोकसभा में बीजेपी के बहुमत के अस्त्र के आगे विपक्ष निहत्था है. पूरी कोशिश के बावजूद सरकार के चेहरे पर शिकन लाने में विपक्ष नाकाम है. दरअसल, कांग्रेस सहित विपक्षी दलों को लोकसभा अध्यक्ष की गुगली का एहसास ही नही था. अविश्वास प्रस्ताव मंज़ूर होते ही विपक्षी नेता बगलें झांकने लगे. कांग्रेस में तो अविश्वास प्रस्ताव की टाइमिंग को लेकर भी मतभेद उभर आया. अब मज़बूरी में ही सही लेकिन कांग्रेस लड़ाई का दम भर रही है. बीजेपी राहुल गांधी को सीधी चुनौती दे रही है.
ये हैं आंकड़े
लोकसभा के आंकड़ों पर नज़र डालें तो एनडीए के 315 के मुकाबले विपक्ष काफी पीछे है और अविश्वास प्रस्ताव के खेल में फंसा हुआ नजर आ रहा है. यूपीए के पास कुल 64 सांसद है जिसमे कांग्रेस के 48, एनसीपी के 7 और आरजेडी के 4 सदस्य शामिल हैं. टीएमसी के 34, टीडीपी के 16, लेफ्ट दलों के 10, एसपी के 7 और आम आदमी पार्टी के 4 सांसद सहित कुछ छोटे दल ही खुलकर अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में हैं.
अन्नाद्रमुक के 37 और बीजेडी के 20 सांसद किधर जाएंगे या सदन से गैरहाजिर रहेंगे ये तस्वीर अभी साफ नहीं है. तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के 11 सांसदों को किधर रहना है इसका फैसला के सी आर करेंगे.
विपक्ष के मुद्दों में भीड़ द्वारा हत्या, किसान और नौजवान की खस्ता हालत, आर्थिक हालात, बैंक घोटाले, महिला सुरक्षा सहित दलित और अल्पसंख्यक अत्याचार मुख्य होंगे. आंकड़े साफ बताते हैं कि इस अविश्वास प्रस्ताव में विश्वास की बहुत कमी है हालांकि तेवर तल्ख़ हैं.
ज़ाहिर है शुक्रवार को जब अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी तो विपक्षी नेताओं का निशाना सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी ही होंगे. अब ये कोई छुपी बात नहीं है कि राहुल और मोदी के भाषण में कौन किस पर भारी पड़ेगा और उसके आधार पर ही आकलन भी होगा.