नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सहित दुनिया के कई देश वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल जानकारी मिल रही है कि अभी यह वैक्सीन आने में अगले कुछ महीनों का वक्त और लग जाएगा. जानकारी के मुताबिक यह वैक्सीन अगले साल की पहली तिमाही तक ही आ पाएगी. यह बात पार्लियामेंट की साइंस एंड टेक्नोलॉजी पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी की बैठक के दौरान सामने आई है.
साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग की पार्लिमेंट स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के दौरान चर्चा इस बात पर हो रही थी कि कोरोना वायरस को लेकर किस तरीके की तैयारियां हुई हैं और आने वाले दिनों में इस तरह की और तैयारियां की जा रही हैं. इतना ही नहीं कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए देश में किस तरीके की और तैयारियों की जरूरत है. इसी दौरान जब कमेटी के सदस्यों ने जब साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय से जुड़े हुए अधिकारियों से कोरोना वायरस से निपटने के लिए किए गए इंतजामों और वैक्सीन को लेकर सवाल पूछा तो जानकारी दी गई कि यह वैक्सीन आने में अभी 6 से 8 महीने का वक्त और लग सकता है.
15 अगस्त तक पूरा हो सकता है ह्यूमन ट्रायल
देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं और सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के तमाम देश इसको लेकर रिसर्च और ह्यूमन ट्रायल तक कर रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी भी देश को वैक्सीन बनाने में सफलता नहीं मिली है. हालांकि कुछ दिनों पहले ऐसी जानकारी सामने आई थी कि भारत में 15 अगस्त तक वैक्सीन तैयार हो सकती है लेकिन बाद में आईसीएमआर ने उस पर स्पष्टीकरण जारी कर साफ कर दिया कि 15 अगस्त तक ह्यूमन ट्रायल पूरा करने को कहा गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वैक्सीन बाजार में आ जाएगी.
बैठक के दौरान इस बात पर भी चर्चा होगी कि जिस तरीके से कोरोना वायरस के लगातार म्यूटेट यानी कि स्वरूप बदलने की खबरें सामने आ रही हैं ऐसे माहौल में ये वैक्सीन और दवाएं कितनी प्रभावी होगी. सदस्यों ने मंत्रालयों के अधिकारियों से पूछा कि जिस तरह की खबरें सामने आ रही है कि कोरोना संक्रमण के मरीजों में नए-नए लक्षण देखने को मिल रहे हैं जो यह दिखाता है कि कोरोना वायरस म्यूटेट हो रहा है और ऐसे में जब तक यह वैक्सीन बाजार में आएगी तब तक कोरोना वायरस किस हद तक खुद को म्यूटेट यानी कि स्वरूप बदल चुका इस बात का आंकलन कैसे होगा. इस पर अधिकारियों ने बताया कि इस पर भी काम चल रहा है और कोरोना वायरस में लगातार हो रहे बदलाव और नए नए लक्षणों को लेकर भी रिसर्च जारी है.
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