नई दिल्ली: सीबीआई ने साफ तौर पर कहा कि लंदन में प्रत्यर्पण मामले का सामना कर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटिश अधिकारियों को सबूत देने में कोई देरी नहीं हुई है. इस तरह की खबरें आई थीं कि माल्या के प्रत्यर्पण के भारत के मामले में पक्ष रख रही क्राउन प्रोसिक्यूशन सवर्सि ने लंदन की एक कोर्ट में कहा कि भारत से सबूत प्राप्त करने के लिए तीन से चार सप्ताह लगेंगे. इसके बाद एजेंसी ने बयान दिया है.
एजेंसी ने 13 जून को हुई सुनवाई से जुड़े घटनाक्रम का विस्तार से विवरण देते हुए अपने बचाव का प्रयास किया. सुनवाई में क्राउन प्रोसिक्यूशन सवर्सि की तरफ से ऐरोन वाटकिन्स ने टिप्पणी की थी.
सीबीआई प्रवक्ता आर के गौर ने गुरुवार को कहा, 13 जून, 2017 को सुनवाई के दौरान जब भगोड़े माल्या के वकील ने मार्च-अप्रैल 2018 में एक तारीख मांगी तो सीपीएस की तरफ से ऐरोन वाटकिन्स ने इसका विरोध किया. बाद की तारीख का बचाव करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने देरी का मुद्दा उठाया जो कुछ नहीं बल्कि उनकी मनगढ़ंत कल्पना है. उन्होंने कहा कि 13 जून की सुनवाई प्रत्यर्पण सुनवाईे नहीं थी और इसका उद्देश्य मामले में लिये जाने वाले आगे के कदमों पर विचार करना था और प्रत्यर्पण की कार्यवाही के लिए एक समयसारणी तैयार करना था.
गौर ने कहा, सीपीएस के विशेषज्ञ अभियोजक ने इस बात की पुष्टि की कि 13 जून को कार्यवाही के दौरान भारत सरकार के प्रत्यर्पण अनुरोध की कोई आलोचना नहीं की गई. वरिष्ठ जिला न्यायाधीश ने अगली सुनवाई के लिए छह जुलाई, 2017 की तारीख तय की जब प्रत्यर्पण सुनवाई के लिए तारीखों का फैसला किया जाएगा.