नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों और विपक्षी दलों द्वारा जतायी गयी चिंताओं के बीच गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा रजिस्टर को अद्यतन करने के दौरान कागजात या बायोमेट्रिक जानकारी देने के लिए नहीं कहा जाएगा.


मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि एनपीआर कवायद के तहत विभिन्न प्रश्नों वाले फार्म को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कवायद के दौरान ‘‘कोई भी कागजात देने के लिए नहीं कहा जाएगा’’ और ‘‘बायोमेट्रिक जानकारी भी नहीं ली जाएगी.’’


हालांकि, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के मुताबिक एनपीआर डेटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ ही बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे.


इसमें कहा गया, ‘‘एनपीआर का लक्ष्य देश में रहने वाले हर निवासी का समग्र डेटाबेस तैयार करना है. डेटाबेस में जनसांख्यिकी के साथ बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे.’’


संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर देश के विभिन्न हिस्से में विरोध प्रदर्शन के बीच पश्चिम बंगाल और केरल ने एनपीआर को अद्यतन करने का काम फिलहाल रोक दिया है.


मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर राज्यों ने एनपीआर से संबंधित प्रावधानों को अधिसूचित कर दिया है.


असम को छोड़कर पूरे देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एनपीआर की कवायद वर्ष 2020 में अप्रैल से सितंबर के बीच पूरी की जानी है.


एनपीआर की कवायद के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3941.35 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.


क्या है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR)


राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) देश के सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है. यह नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र) नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (ग्राम / उप-टाउन), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए एनपीआर में पंजीकरण कराना अनिवार्य है. कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है.


क्या है राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का उद्देश्य


एनपीआर का उद्देश्य देश में हर सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है. डेटाबेस में जनसांख्यिकीय के साथ-साथ बॉयोमीट्रिक विवरण शामिल होते हैं.


ध्यान दें - एनपीआर के दौरान कोई बायोमेट्रिक एकत्रित नहीं किया जा रहा है.


एनपीआर को 2010 में पहली बार तैयार किया गया था. इसके बाद हुए जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण बदलाव को सम्मिलित करने के लिए, इसे फिर से अपग्रेड करने की ज़रूरत है. 2015 में कुछ ही घटकों को शामिल किया गया था. एनपीआर के आंकड़ों के जरिए आम आदमी को कई योजनाओं का भी लाभ मिल सकेगा. मसलन विभिन्न जन कल्याण और लाभार्थी उन्मुख सरकारी योजनाएं जैसे कि आयुष्मान भारत, जन धन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, सौभाग्य योजना, लोक वितरण प्रणाली (PDS) आदि परिवार आधारित हैं. इनके पारदर्शी और कुशल कार्यान्वन के लिए एनपीआर आंकड़ों का प्रयोग किया जा सकता है.


एनपीआर डाटा करने के लिए एक मोबाइल ऐप का प्रयोग किया जाएगा. सरकार का मानना है कि यह डाटा इकट्ठा करने के लिए हर घर पर सरकारी कर्मचारी भेजा जाएगा क्योंकि सभी व्यक्ति अपने आप इस डाटा को अपडेट नहीं कर पाएंगे. इसके अतिरिक्त घर-घर गणना अपने आप में यह सुनिश्चित करेगी कि पूरी जनसंख्या को शामिल कर लिया गया है. यानी सरकार किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. सरकार ने पूरी तरह से साफ किया है कि एनपीआर अपडेट करने के दौरान घर-घर गणना के समय कोई दस्तावेज़ एकत्रित नहीं किए जा रहे हैं.


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