यूपी चुनाव पर नहीं दिखा नोटबंदी का असर, राजनीतिक दलों ने खर्च किए 5500 करोड़ रुपये : स्टडी
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के चुनाव में अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टी ने 5500 करोड़ रुपये खर्च किए, जिनमें करीब 1000 करोड़ रपये वोट के बदले नोट पर खर्च किए गए. करीब एक तिहाई मतदाताओं ने नकद या शराब की पेशकश की बात मानी है. सीएमएस के चुनाव से पहले और चुनाव के बाद के सर्वेक्षण के अनुसार अकेले उत्तर प्रदेश में हाल के विधानसभा चुनाव में बड़े राजनीतिक दलों ने 5500 करोड़ रुपये खर्च किए.
हर कैंडीडेट को 25 लाख खर्च करने की है इजाजत
वैसे चुनाव आयोग हर उम्मीदवार को 25 लाख रुपये चुनाव पर खर्च करने की इजाजत देता है. लेकिन ज्यादातर उम्मीदवार आधिकारिक रूप से मान्य राशि से अधिक और चुनाव के बाद वे जो घोषणा करते हैं, उससे कहीं ज्यादा खर्च करते हैं.
सिर्फ प्रिंट और इलेक्टॉनिक कंटेंट पर 600-900 रुपये खर्च
चुनाव प्रचार में पारंपरिक और गैर पारंपरिक गतिविधियां शामिल हैं. इस चुनाव में बड़े स्क्रीन, वीडियो वैन समेत प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक सामग्री पर ही 600-900 करोड़ रुपये खर्च हुए.
यूपी में करीब 200 तो पंजाब में 100 करोड़ रुपये हुए जब्त
सर्वेक्षण कहता है, ‘‘उत्तर प्रदेश में डाले गये हर वोट पर करीब 750 रुपये खर्च आए जो देश में सर्वाधिक है. ’’ रिपोर्ट के मुताबिक इस विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में करीब 200 करोड़ रुपये और पंजाब में 100 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि जब्त की गयी.
वोट देने के लिए मतदाताओं ने लिए पैसे!
सर्वेक्षण कहता है, ‘‘रूझान के मुताबिक साल 2017 में 1000 करोड़ रुपये मतदाताओं के बीच वितरित किये जाने का अनुमान है. ’’ जितने मतदाताओं पर सर्वेक्षण किया गया उनमें से 55 फीसदी अपने आसपास में किसी न किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिन्होंने इस या पिछले विधानसभा चुनावों में वाकई पैसे लिए.
नोटबंदी के बाद काफी बढ़ गया चुनाव का खर्च
अध्ययन के अनुसार सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि नोटबंदी से चुनाव का खर्च काफी बढ़ गया. उसने कहा, ‘‘कुछ निर्वाचन क्षेत्रों, जहां मुकाबला कड़ा था, मतदाताओं की संख्या और मतदाता की भूमिका को प्रभावित करने के हिसाब से नकदी 500-2000 रुपये के बीच थी. ’’ दो तिहाई मतदाताओं के हिसाब से उम्मीदवारों ने पहले से ज्यादा खर्च किए.
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