नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले 10 साल से स्विस बैंक में छिपाए गए काले धन का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. लोकसभा में विन्सेंट एच पाला के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि हाल के सालों में विदेशों में छिपाए गए काले धन को वापस लाने के लिए सरकार ने अनेक प्रयास किये हैं जिनमें काला धन एवं कर अधिरोपण कानून को प्रभावी करना, विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करना आदि शामिल हैं.
पंकज चौधरी ने बताया कि इस साल 31 मई तक काला धन अधिनियम, 2015 की धारा 10(3)/10(4) के तहत 66 मामलों में निर्धारण आदेश जारी किए गए हैं जिसमें 8,216 करोड़ रुपये की मांग की गयी है. उन्होंने कहा कि एचएसबीसी मामलों में लगभग 8,465 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति को कर के अधीन लाया गया है और 1294 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. आईसीआईजे (खोजी पत्रकारों का अंतरराष्ट्रीय संघ) मामलों में लगभग 11,010 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है.
वित्त राज्य मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि पनामा पेपर्स लीक मामलों में 20,078 करोड़ रुपये (लगभग) के अघोषित जमाधन का पता चला है. वहीं पेराडाइज पेपर्स लीक मामलों में लगभग 246 करोड़ रुपये के अघोषित जमाधन का पता चला है.
इससे पहले 20 जुलाई को वित्त राज्य मंत्री ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में बताया था कि स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय को बताया है कि स्विस बैंकों में जमा ग्राहकों का धन जरूरी नहीं कि स्विट्जरलैंड में ही हों बल्कि उनमें विदेशी शाखाओं में भी जमा धन के आंकड़े भी शामिल हो सकते हैं.
स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत स्थित शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम जमा धन सहित भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा स्विस बैंकों में जमा धन, वर्ष 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ़्रैंक के 13 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया. भारतीय मुद्रा के हिसाब से यह राशि करीब 20,700 करोड़ रुपये बनती है.