40 फीसदी बाल गृहों में बच्चों को शारीरिक-भावनात्मक प्रताड़ना से बचाने की व्यवस्था नहीं: रिपोर्ट
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट में खराब व्यवस्था पर चिंता जताई गई है7,163 बाल गृह में शारीरिक, भावनात्मक शोषण से बचाने के लिए उचित सुविधा नहीं है
नई दिल्ली: देश भर की 2,764 बाल गृह संस्थाओं में बच्चों को किसी भी प्रकार के शारीरिक या भावनात्मक शोषण से बचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. यह जानकारी सरकार की सामाजिक ऑडिट रिपोर्ट से सामने आई है.
देश भर के बाल गृह संस्थाओं की बुनियादी कमी उजागर
उत्तर प्रदेश के देवरिया और बिहार के मुजफ्फरपुर में बाल गृहों में रहने वाली लड़कियों के यौन शोषण का मामला 2018 में सामने आया था. उसके बाद देश भर के सभी बाल गृहों की सामाजिक ऑडिट करने का आदेश दिया गया. इस दौरान देश के 7,163 बाल गृहों के ऑडिट में चौंकानेवाला खुलासा हुआ. आपको बता दें कि 7,163 बाल गृहों में 2.56 लाख बच्चे रहते हैं.
शारीरिक, भावनात्मक शोषण से बचाने की व्यवस्था नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक, कुल संस्थाओं में से 39 प्रतिशत (2764) में बच्चों को शारीरिक या भावनात्मक शोषण से बचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते उन्हें शारीरिक या मानसिक आघात का सामना करना पड़ता है. रिपोर्ट में कहा गया कि 1,504 बाल गृहों में अलग शौचालय का प्रबंध नहीं है जबकि 434 बाल गृह संस्थाओं के शौचालयों और स्नानगृह में निजता का इंतजाम नहीं मिला.
373 बाल गृहों में सफाई, उम्र और मौसम के हिसाब से कपड़े और अन्य सामान की कमी है. इसके अलावा 1,069 बाल गृहों में रहने वाले बच्चों को अलग बिस्तर की सुविधा नहीं है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 28.5 प्रतिशत (2039) बाल गृह अभी तक पंजीकृत नहीं हैं. नब्बे प्रतिशत बाल गृहों की प्रबंधन समितियां हैं लेकिन उनमें से 85 प्रतिशत की नियमित बैठक नहीं होती.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के एक अधिकारी ने कहा कि अगर यह बैठक नहीं होती है तो इसका अर्थ है कि बाल गृह का उत्तरदायित्व किसी के पास नहीं है. लगभग 23 प्रतिशत बाल गृहों में भोजन पकाने वाला कोई नहीं मिला तो भोजन कौन बनाता है? इसके अलावा लगभग 48 प्रतिशत बाल गृहों में कॉउंसिलर नहीं हैं.
29 प्रतिशत बाल गृहों में कर्मचारियों के पास बच्चों के पुनर्वास का प्रशिक्षण ही नहीं है. लगभग 70 फीसदी बाल गृहों ने अपने कर्मचारियों को बाल अधिकार संरक्षण का प्रशिक्षण नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा 61 प्रतिशत बाल गृह ऐसे हैं जिन्होंने बच्चों को संभालने का प्रशिक्षण नहीं दिया है. रिपोर्ट में उजागर हुई अनियमितता से आशंका जताई गई है कि बच्चों को बाल गृहों में शारीरिक और भावनात्मक प्रताड़ना का शिकार होने का खतरा है.
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