नई दिल्ली: निर्भया के हत्यारों की फांसी पर अनिश्चितकालीन रोक लग गई है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आज निर्भया के हत्यारों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में साफ कर दिया कि कोर्ट के अगले आदेश तक फांसी नहीं होगी. यानी 7 जनवरी और 17 जनवरी को जारी किए गए डेथ वारंट पर फिलहाल के लिए अनिश्चितकालीन रोक लग गई है.


निर्भया की मां की आंखों में आये आंसू


कोर्ट का आदेश सुनकर निर्भया की मां आशा देवी भावुक हो गईं. उनकी आंखों में आंसू आ गए लेकिन यह आंसू खुशी के नहीं बल्कि दर्द, गुस्से और मायूसी के थे. निर्भया की मां का कहना था कि यह हत्यारे कानून की कमियों का फायदा उठाकर अपनी फांसी को टलवाते जा रहे हैं और कानून भी उन्हीं के पक्ष में आदेश दे रहा है. जबकि हम लोग पिछले 7 सालों से अदालत के चक्कर काट रहे हैं लेकिन हमारी बेटी को इंसाफ नहीं मिल रहा. निर्भया की मां की नाराजगी सरकार और अदालत दोनों से थी.


निर्भया की वकील ने कहा- दोषी उड़ा रहे हैं कानून का मजाक


वहीं निर्भया के परिवार की वकील सीमा कुशवाहा का कहना था कि यह कानून का मजाक है. यह हत्यारे कानून का मजाक उड़ाकर लगातार अपनी फांसी टलवाते जा रहे हैं. अदालत को भी यह दिख रहा है लेकिन फिर भी इनकी फांसी की तारीख अनिश्चितकालीन वक्त के लिए टाल दी.


दोषियों ने लंबित याचिकाओं का दिया था हवाला


दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि उन्होंने अदालत के सामने अलग-अलग दोषियों की तरफ से लंबित याचिकाओं का जिक्र किया था और कानून कहता है कि अगर किसी भी दोषी की कोई भी याचिका लंबित है, तो उसको फांसी नहीं होनी चाहिए. इसी को आधार बनाकर फांसी की सज़ा पर रोक लगाने की मांग की थी.


अदालत ने क्यों लगाई फांसी पर रोक


अदालत ने अपने आदेश में दिल्ली जेल पिजन मैनुअल का जिक्र करते हुए कहा कि इसके नियमों के हिसाब से अगर एक मामले में एक से ज्यादा दोषी हैं जिनको फांसी की सजा हुई है तो सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जा सकती है. अभी इस मामले में दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. लिहाजा किसी को भी फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता और इसी आधार पर सभी की फांसी की तारीख को अनिश्चितकालीन वक्त के लिए टाल दिया.


यह भी पढ़ें-


पीएम हिंसा के साथ हैं या अहिंसा के साथ हैं? विकास के साथ हैं या अराजकता के साथ हैं- प्रियंका गांधी


संसद में आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट पेश, वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 6-6.5 फीसदी रहने का अनुमान