लखनऊ: एससीएसटी एक्ट मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है. कोर्ट ने कहा है कि एससीएसटी एक्ट मामले में भी सात साल से कम सजा वाले बिना स्पष्ट कारणों के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को पुलिस से कहा कि वह हाईकोर्ट के 2014 के एक आदेश द्वारा समर्थित सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन किए बगैर एक दलित महिला और उसकी बेटी पर हमले के आरोपी चार लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकती.
यह मामला आईपीसी के साथ-साथ एसटीएसी एक्ट तहत दर्ज हुआ था, लेकिन कोर्ट ने पुलिस को तत्काल ‘‘नियमित’’ (रूटीन) गिरफ्तारी करने से रोक दिया. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में न्यायमूर्ति अजय लांबा और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया. साल 2014 में उच्चतम कोर्ट ने अर्णेश कुमार के मामले में आरोपी की गिरफ्तारी पर दिशानिर्देशों का समर्थन किया था.
सीआरपीसी की धारा 41 और 41-ए कहती है कि सात साल तक की जेल की सजा का सामना कर रहे किसी आरोपी को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक पुलिस रिकॉर्ड में उसकी गिरफ्तारी के पर्याप्त कारणों को स्पष्ट नहीं किया जाता.
हाईकोर्ट का आदेश ऐसे समय पर आया है जब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून का दुरूपयोग रोकने के लिए उच्चतम कोर्ट की ओर से पारित आदेश को पलटने की मंशा से हाल में संसद ने इस कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किया है.