टेरर फंडिंग रोकने के लिए आज से 'No Money For Terror' सम्मेलन, एक मंच पर जुटेंगे 75 देशों के प्रतिनिधि, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन
ग्लोबल कॉन्फ्रेंस का मकसद पेरिस और मेलबर्न में हुए पिछले दो सम्मेलनों में टेरर फंडिंग पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच हुई चर्चा को आगे ले जाना है.
No Money For Terror Conference: आतंकवाद की फंडिंग से निपटने के तरीकों पर चर्चा के लिए दिल्ली में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन शुक्रवार (18 नवंबर) से शुरू होगा. इसमें 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय 18-19 नवंबर को 'आतंकवाद के लिए कोई धन नहीं: आतंकवाद के वित्तपोषण से मुकाबले के लिए मंत्रियों का सम्मेलन' की मेजबानी करेगा. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेता हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे.
इस सम्मेलन में मुख्य रूप से टेरर फंडिंग, आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक व अनौपचारिक स्रोतों, मसलन 'हवाला' या 'हुंडी' नेटवर्क के उपयोग के विषयों पर चर्चा की जाएगी. इसके अलावा, नई तकनीक की मदद से किस तरह से आतंकवाद को फंड किया जा रहा है और उसे रोकने में जो परेशानियां आ रही हैं, उस पर भी चर्चा की जाएगी.
क्या है सम्मेलन का मकसद?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था कि मोदी सरकार आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने की नीति पर चल रही है. वह इस बुराई के खिलाफ भारत की लड़ाई में उसके संकल्प से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अवगत कराएगी. गृह मंत्रालय के अनुसार, इस सम्मेलन का मकसद पेरिस (2018) और मेलबर्न (2019) में हुए पिछले दो सम्मेलनों में आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के विषय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच हुई चर्चा को आगे ले जाना है.
NIA के डीजी ने क्या कहा?
सम्मेलन को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक (DG) दिनकर गुप्ता ने कहा, "सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के तौर पर किया जाता है. ऐसे स्रोतों से जुटाए गए धन का उपयोग अंततः आतंकवादी उद्देश्यों के लिए किया जाता है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर चर्चा करने की जरूरत है."
एनआईए के डीजी ने आगे बताया कि सम्मेलन में हवाला के पैसे और टेरर फंडिंग के नए तरीकों पर चर्चा की जाएगी. सम्मेलन में सभी देशों के बीस से अधिक मंत्री भाग ले रहे हैं. गुप्ता ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद में भारी कमी आई है, लेकिन लड़ाई लड़नी होगी."
'भारत प्रभावित देशों के दर्द को समझता है'
विदेश मंत्रालय के सचिव संजय वर्मा ने कहा, कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वाले देश इस बात पर भी विचार-विमर्श करेंगे कि आतंकवादी समूहों और आतंकवादियों पर वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) और संयुक्त राष्ट्र की सूची के अनिवार्य मानकों को प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जाए. भारत ने तीन दशकों से अधिक समय से कई रूपों में आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का सामना किया है, इसलिए यह प्रभावित देशों के दर्द और आघात को समान रूप से समझता है.