नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में बंदर पकड़ने वालों की संख्या बेहद कम है क्योंकि नई बहाली नहीं हो पा रही है. वजह है कि अब दिल्ली में बंदर पकड़ने वाले नहीं बचे हैं. अब दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में वहां के स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देने का फैसला किया है, ताकि बंदर पकड़ने वालों को बहाल किया जा सके.


निगम का कहना है कि उन्होंने एक बंदर पकड़ने के लिए पैसे भी बढ़ा दिए लेकिन फिर भी किसी ने नौकरी के लिए आवेदन नहीं किया. पहले एक बंदर को पकड़ने के 1200 मिलते थे जिसे दो महीने पहले बढ़ाकर 2400 कर दिया गया. एसडीएमसी के पशु चिकित्सा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस साल निगम सिर्फ 50 बंदरों को पकड़ने में सफल रहा है. अधिकारी ने यह भी कहा कि पिछले दो महीनों में नौकरी ने लिए कोई नया आवेदन नहीं मिला. अधिकारी ने बताया कि एनिमल एक्टिविस्ट बंदर पकड़ने वालों को पुलिस के पास ले जाते हैं, ये भी एक कारण हो सकता है कि नौकरी के लिए कोई नया आवेदन नहीं मिला.


याद रहे कि दिल्ली के मयूर विहार, लाजपत नगर, वसंत कुंज और तुगलकाबाद जैसे इलाकों से बंदरों के हमले के कई मामले सामने आए हैं. इतना ही नहीं कई सरकारी बिल्डिंग्स और कोर्ट कैंपस में बंदर घूमते रहते हैं, जिसकी वजह से हमले का खतरा बना रहता है.


अधिकारियों का कहना है कि बंदरों को पकड़ना एक बेहद मुश्किल भरा काम है.


अधिकारी ने कहा, ''बंदर पकड़ने वाला सबसे पहले पिंजरे में एक केला रखता है और कई दिन इंतजार करता है...ताकि बंदरों को ये आभास हो सके कि ये उनके लिए खतरा नहीं है...इसके बाद जब वे एक साथ पिंजरे में झुंड में आते हैं तो उन्हें पकड़ लिया जाता है और बाद में जंगल में छोड़ दिया जाता है...अब इस तरह के काम में कोई रूचि क्यों लेगा?''


द इंडियन एक्सप्रेस की मानें तो दिल्ली में हर दिन बंदर के काटने के पांच मामले सामने आते हैं. वहीं साल 2015 में ऐसे 1900 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे.