मुंबई: महाराष्ट्र में दिन-ब-दिन कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं और उत्तर भारत के लाखों मजदूर कामगार महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं, जो वापस अपने घर जाना चाहते हैं. ट्रेनों की शुरुआत हुई है, जो भिवंडी, नासिक और नागपुर के आसपास के इलाकों से मजदूरों को लेकर उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों के लिए जा रही है. सरकार की तरफ से जो नियम बनाया गया था कि मज़दूरों को मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना पड़ेगा. अब उसे वापस ले लिया गया है. राज्य के मुख्य सचिव ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक प्रवासी मजदूरों को पहले से खुद का मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब यात्रा के समय ही उनका मेडिकल टेस्ट करवाया जाएगा.


महाराष्ट्र सरकार ने इसकी अनिवार्यता खत्म कर दी है और आदेश में साफ कहा है कि मेडिकल जांच मजदूरों की मुफ्त में की जाएगी और कोई पैसा इसके लिए किसी को देने की जरूरत नहीं है. जांच के बाद मजदूरों की एक सूची बनाने की भी बात की जा रही है, जिनके बाद व्यक्तिगत रूप से किसी को मेडिकल सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होगी.


वापस गांव जाने के लिए इंतजार कर रहे मजदूरों को ट्रेन से सफर करने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट की बात सामने आई थी, जिसके बाद मेडिकल सेंटर्स पर छोटे क्लिनिक्स पर लोगों की लंबी कतार देखने को मिलने लगी थी. जो कोरोना वायरस के लिए खतरनाक थी. इसी के मद्देनजर यह फैसला लिया गया कि यात्रियों की सारी स्क्रीनिंग एक साथ होगी और अगर कोई बुखार से पीड़ित पाया गया तो उसे जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.


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