राष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष पर नायडू का निशाना, कहा- विचारधारा को बीच में लाने की जरूरत नहीं
हैदराबाद: केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने आज कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में एक 'संवैधानिक राष्ट्रपति' की जरूरत है. कैबिनेट के फैसले के बिना तत्कालीन राष्ट्रपति की ओर से साल 1975 में आपातकाल की घोषणा का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने यह बात कही. नायडू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी आगामी राष्ट्रपति चुनाव को वैचारिक लड़ाई बताकर विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि ऐसा कुछ नहीं है.
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा, ''मुझे राष्ट्रपति चुनाव में विचारधारा को बीच में लाने का कोई कारण नहीं दिखता. इसे राजनीतिक दलों की ओर से की जाने वाली रोज के आरोपों की राजनीति से उपर रखा जाना चाहिए.'' उन्होंने ने कहा कि संविधान का पालन करने वाला राष्ट्रपति बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि देश ने हाल में ही आपातकाल की 42वीं बरसी मनाई है.
नायडू ने आगे कहा, ''साल 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने कैबिनेट के फैसले के बिना ही तत्कालीन प्रधानमंत्री के लिखे एक पत्र के आधार पर ही आपातकाल लागू करने के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर दिये थे. इसके बाद लोगों के सभी लोकतांत्रिक अधिकार कुचल दिए गए. उन्होंने आगे कहा, ''अंर्तात्मा से वोट कांग्रेस के लिए सुविधा का मामला है. हमें याद है कि उसने अंर्तात्मा के प्रयोग से अपने ही आधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीवा रेड्डी को हराया था''.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार राम नाथ कोविंद का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि देश को एक 'संवैधानिक राष्ट्रपति' की जरूरत है जो संविधान का पालन करे और जो राजनीति से उपर हो. नायडू ने कहा, ''संविधान की रक्षा की एकमात्र विचारधारा यह है कि वह प्रतिबद्ध हो, और कुछ नहीं''.