नई दिल्ली: असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) का दूसरा ड्राफ्ट जारी हो गया है. असम में 40 लाख लाख लोगों को नागरिकता नहीं मिली है. एनआरसी के मुताबिक कुल 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 668 लोग भारत के नागरिक हैं, असम की कुल जनसंख्या 3 करोड़ 29 लाख है. एनआरसी की पहली लिस्ट 31 दिसंबर 2017 को जारी हुई थी. पहली लिस्ट में असम की 3.29 करोड़ आबादी में से 1.90 करोड लोगों को शामिल किया गया था. एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों या परिवारों को शामिल किया गया है जो 25 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं.
नहीं होगी नाइंसाफी, एक और मौका मिलेगा- गृहमंत्री
जिन 40 लाख लोगों नाम एसआरसी में नहीं है उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का एक और मौका मिलेगा. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ''आज असम में अनआरसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट सामने आई है. सभी लोग जानते हैं कि यह फाइनल एनआरसी नहीं है, हर किसी को शिकायत और दावा करने का मौका दिया जाएगा. कानून में इस बात का जिक्र है, हर किसी को सुनवाई का पूरा मौका मिलेगा. इसके बाद ही फाइनल एनआरसी का प्रकाशन होगा. कुछ लोग इसके जरिए भय का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे है. मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसी भी प्रकार के डर या आशंका की जरूरत नहीं है.''
गृह मंत्री ने कहा, ''एनआरसी की प्रक्रिया पूरी निष्पक्षता के साथ की गई है. हो सकता है कुछ लोग कुछ आवश्यक दस्तावेज ना दे पाए हों. इसलिए दावे और शिकायत की प्रकिया में उन्हें पूरा मौका दिया जाएगा. मैं यह बात साफ करना चाहता हूं कि अगर फाइनल लिस्ट के बाद भी किसी का नाम एनआरसी में नहीं आता है तो उसे फॉर्नर ट्रिब्यूनल में जाने का भी अधिकार है. किसी को भी अनावश्यक परेशान होने की जरूरत नहीं है, यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रही है.''
कैसे देख सकते हैं लिस्ट में अपना नाम?
जिसे भी अपना एनआरसी में चेक करना है वो 30 जुलाई से 28 सितंबर तक एनआरसी सेवा केन्द्र जाकर सुबह दस बजे से चार बजे तक देख सकते हैं. इसके साथ ही 24x7 की टोलफ्री नंबर (असम से 15107, असम के बाहर से 18003453762) पर फोन कर भी अपना नाम चेक कर सकते हैं. इसके साथ ही एनआरसी की वेबसाइट पर भी लिस्ट चेक की जा सकती है.
जिनके नाम लिस्ट में नहीं वो क्या करें?
जिन लोगों का नाम पहली लिस्ट में नहीं आया था उनके बीच चिंता जरूर है. अभी ये बात भी साफ नहीं है कि जिनका नाम एनआरसी में नहीं होगा उनका क्या होगा? हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री तक ये भरोसा दिला चुके हैं कि जिनका नाम दूसरी लिस्ट में भी नहीं होगा उन्हें विदेशी नहीं माना जाएगा. ऐसे लोगों को आपत्ति और शिकायत दर्ज कराने के लिए मौका मिलेगा. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे एनआरसी मसौदा सूची पर आधारित किसी मामले को विदेश न्यायाधिकरण को नहीं भेजें.
एनआरसी से जुड़े एक बड़े अधिकारी ने बताया, ''ड्रॉफ्ट में जिनके नाम उपलब्ध नहीं होंगे उनके पास दावों और शिकायतों रके लिए पर्याप्त गुंजाइश होगी. अगर वास्तविक नागरिकों के नाम दस्तावेज में मौजूद नहीं हों तो वे घबरायें नहीं. ऐसे महिला या पुरुषों को एक फॉर्म को भरना होगा. ये फॉर्म 7 अगस्त से 28 सितंबर के बीच उपलब्ध होंगे. इस फॉर्म के ज़रिए वो संबंधित अधिकारियों से पूछ सकते हैं कि उनका नाम लिस्ट में न होने का क्या कारण है. अधिकारियों को उन्हें इसका कारण बताना होगा कि मसौदा में उनके नाम क्यों छूटे." उन्होंने बताया, ''इसके बाद एक दूसरा फार्म भरकर ज़रूरी दस्तावेजों के साथ भारत की नागरिकता साबित करने के लिए अपना दावा पेश कर सकते हैं. यह फॉर्म 30 अगस्त से 28 सितंबर तक मिलेगा.''
क्या है एनआरसी का पूरा मामला?
असम में राज्य के नागरिकों की पहचान के लिए 2015 में ये कवायद शुरू हुई. एनआरसी मकसद राज्य में अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान करना है. असम में बांग्लादेश से लाखों लोगों के अवैध घुसपैठ का दावा किया जाता है. एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन की पहली लिस्ट 31 दिसंबर 2017 को जारी हुई थी. पहली लिस्ट में असम की 3.29 करोड़ आबादी में से 1.90 करोड लोगों को शामिल किया गया था. अब 1.40 करोड़ लोगों को दूसरी लिस्ट में अपने नाम के एलान की उम्मीद है.