केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीनों किसान कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया है. 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान सरकार इसकी प्रक्रिया पूरी करेगी. साथ ही एमएसपी से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए समिति बनाएगी.
इसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि पौने बारह महीने से ठिठुरती ठंड, भीषण गर्मी, बरसात, तमाम परेशानियों व जुल्मों के बावजूद तीनों खेती विरोधी काले कानूनों को खत्म कराने का जो सत्याग्रह आपने जीता है, उसकी दूसरी मिसाल आजाद भारत के इतिहास में नहीं मिलती. मैं आपके इस संघर्ष में 700 से अधिक किसान- मजदूर भाई-बहनों द्वारा दी गई कुर्बानी के लिए नतमस्तक हूं.
राहुल ने लिखा, एक तानाशाह शासक के अहंकार से लड़ते हुए जिस गांधीवादी तरीके से आपने उन्हें फैसला वापस लेने के लिए मजबूर किया था, यह असत्य पर सत्य की विजय का बेजोड़ उदाहरण है.
उन्होंने आगे लिखा, आज के इस ऐतिहासिक दिन हम उन शहीद किसान-मजदूर भाई-बहनों को याद करते हैं, जिन्होंने अपनी जान का बलिदान देकर इस सत्याग्रह को मजबूत किया. काश, ये नौबत ही नहीं आती, अगर केंद्र सरकार ने शुरू में ही किसानों की मांगों पर ध्यान दिया होता.
अभी खत्म नहीं हुआ आंदोलन: राहुल
राहुल गांधी ने आगे लिखा कि साथियों अभी संघर्ष खत्म नहीं हुआ है. कृषि उपज का लाभकारी न्यूनतम मूल्य (एमएसपी) मिले, विवादास्पद बिजली संशोधन कानून खत्म हो, खेती के जोत में इस्तेमाल होने वाली हर चीज पर लगाए गए टैक्स का बोझ घटे, डीजल के दामों में अप्रत्याशित वृद्धि कम हो और खेत-मजदूर पर कमरतोड़ कर्ज के बोझ का हल निकालना खेतिहर किसान के संघर्ष के गंभीर विषय हैं.
उन्होंने कहा, मैं पीएम से मांग करता हूं कि किसान अपना फायदा और नुकसान सबसे बेहतर समझता है. चंद पूंजीपतियों के हाथ में खेलकर किसान को अपने ही खेत खलिहान में गुलाम बनाने की साजिश कर उसे सही साबित करने का दोबारा दुस्साहस ना करें.
उन्होंने कहा, पीएम को अपने वादे के मुताबिक साल 2022 तक किसान की दोगुनी आय सुनिश्चित करनी चाहिए. इसके लिए उन्हें जल्दी से जल्दी भविष्य की योजनाओं का रोडमैप भी जारी करना चाहिए. पीएम को याद रखना चाहिए कि सत्ता सेवा का माध्यम है. लूट-खसोट, जिद और अहंकार का किसी प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में कोई स्थान नहीं है.
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