(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एंग्लो इंडियन्स के लिए अब आरक्षित नहीं होंगी लोकसभा में सीटें, SCs और STs को मिलता रहेगा आरक्षण
संविधान के मुताबिक एंग्लो इंडियन समुदाय के दो लोगों के लिए लोकसभा में और एक सदस्य के लिए विधानसभाओं में सीटें आरक्षित रहती हैं. समुदाय से आने वाले इन दो प्रतिनिधियों को लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना पड़ता है, बल्कि ये राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं.
अब लोकसभा और विधानसभाओं में अलग से एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों के लिए सीटें आरक्षित नहीं होंगी. मोदी सरकार की कैबिनेट की बैठक में ये फ़ैसला लिया गया है. संविधान के मुताबिक इस समुदाय के दो लोगों के लिए लोकसभा में और एक सदस्य के लिए विधानसभाओं में सीटें आरक्षित रहती हैं. समुदाय से आने वाले इन दो प्रतिनिधियों को लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना पड़ता है, बल्कि ये राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं. इन आरक्षित सीटों के आरक्षण की हर 10 साल पर समीक्षा की जाती है और ज़रूरत पड़ने पर उसे बढ़ाया या घटाया जा सकता है. अगले साल 25 जनवरी को आरक्षण की अवधि समाप्त हो रही थी जिसे कैबिनेट ने नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया.
एससी एसटी समुदाय को मिलता रहेगा आरक्षण
हालांकि, बुधवार को हुई कैबिनेट की इस बैठक में एससी और एसटी समुदाय के लोगों के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण जारी रखने का फ़ैसला किया है. दोनों श्रेणियों की भी आरक्षण की अवधि 25 जनवरी को समाप्त हो रही थी जिसे 10 साल के लिए बढ़ाने का फ़ैसला हुआ है. फिलहाल दोनों समुदायों के लिए लोकसभा में 131 सीटें आरक्षित हैं जिनमें एससी समुदाय के लोगों के लिए 84 सीटें जबकि एसटी समुदाय के लिए 47 सीटें शामिल हैं. अब इन दोनों फैसलों से जुड़ा संविधान संशोधन विधेयक संसद के इसी सत्र में पेश किया जाएगा.
कौन हैं एंग्लो इंडियन्स?
संविधान के अनुच्छेद 331 और अनुच्छेद 333 में एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों के लिए लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण का प्रावधान है. अनुच्छेद 331 मुताबिक़ अगर राष्ट्रपति को लगता है कि लोकसभा में इस समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह समुदाय के अधिकतम 2 लोगों को लोकसभा के लिए नामांकित कर सकते हैं. विधानसभाओं में अनुच्छेद 333 के तहत ये आरक्षण लागू है. फिलहाल 14 राज्यों की विधानसभाओं में इस समुदाय के सदस्य नामांकित हैं. इसी तरह संविधान की अनुच्छेद 366 में एंग्लो इंडियन समुदाय की परिभाषा भी दी गई है. इसके मुताबिक़ अगर किसी व्यक्ति के पिता या फिर उनके कोई पुरुष वंशज यूरोपीय रहे हों और को भारत आकर बस गए हों तो वो एंग्लो इंडियन कहलाएगा.
सबसे ज़्यादा बार सांसद रहे फ्रैंक एंथनी
इस समुदाय से सबसे ज़्यादा बार सांसद बनने का रिकॉर्ड फ्रैंक एंथनी के नाम रहा है. एंथनी 1951 - 52 में पहली लोकसभा में नामांकित सांसद बनने के बाद कुल मिलाकर सात बार सांसद बने. जून 2019 में समाप्त हुई 16वीं लोकसभा में जॉर्ज बेकर और रिचर्ड हे को भी इस समुदाय से सांसद बनाया गया था.