कश्मीर में गर्मी का कहर जारी, डल झील का पानी खराब होने की आशंका के चलते शिकारा चलाने वाले परेशान
श्रीनगर में जहां गुरुवार को पारा 34.7 डिग्री सेल्सियस के पार गया तो वही क़ाज़ीगुंग में गर्मी ने 31 साल पुराना रिकॉर्ड टोड़ दिया. 1990 में 6 जून को क़ाज़ीगुंग में तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ था जो आज 34.3 डिग्री तक पहुंच गया.
श्रीनगर: कश्मीर घाटी में पड़ रही भीषण गर्मी से फिलहाल लोगों को कोई राहत नहीं मिल रही है. पिछले 4 दिनों से लगतार बढ़ते पारे ने लोगों के सामने कई समस्याए खड़ी कर दी हैं. कहीं ज़्यादा गर्मी के कारण पानी सूख गया है तो कई इलाकों में पहाड़ी, नदी, नालों में ज़्यादा पानी आने लगा है.
श्रीनगर में जहां गुरुवार को पारा 34.7 डिग्री सेल्सियस के पार गया तो वही क़ाज़ीगुंग में गर्मी ने 31 साल पुराना रिकॉर्ड टोड़ दिया. 1990 में 6 जून को क़ाज़ीगुंग में तापमान 33 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ था जो आज 34.3 डिग्री तक पहुंच गया.
जून महीने की शुरुआत में जहां पूरी कश्मीर घाटी में अधिकतम तापमान 20-25 डिग्री के बीच था वहीं, अचानक से बढ़ी गर्मी ने सबको चौंका दिया. जून के महीने में इतनी ज़ायदा गर्मी के पीछे मौसम विभाग ज़्यादा उमस को वजह बता रहा है.
श्रीनगर स्थित मौसम विभाग के एडिशनल डायरेक्टर मुख्तार अहमद के अनुसार पिछले कुछ दिनों में तापमान में बढ़ोतरी के पीछे वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का ना आना और ज़्यादा ह्यूमिडिटी है. अब अगले 24-48 घंटों में बारिश होने की संभावना के चलते इस बढ़े तापमान में कमी आ सकती है.
इसके साथ मुख्तार अहमद का कहना है कि गर्मी में कमी तभी आ सकती है, जब ज़्यादा बारिश हो, अगर कम बारिश हुई तो ज़्यादा ह्यूमिडिटी बढ़ने के चलते और ज़्यादा परेशानी होगी. लेकिन इस बीच पहलगाम में बहने वाले लिद्देर नाले में पानी का स्तर 1.69 मीटर पहुंच गया जो खतरे के निशान के उपर है. इस बढ़े जल स्तर का कारण ज़्यादा गर्मी की वजह से बर्फ का पिघलना माना जा रहा है. इसीलिए पहलगाम, सोनमर्ग, बांडीपोर, बड़गाम और कुपवाड़ा के जिलों में पहाड़ी, नदी, नालों में नहाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.
इन इलाकों में बढ़े तापमान के चलते किसी भी समय जल स्तप बढ़ने का खतरा है. पिछले एक हफ्ते में नदी नालों में नहाते हुए 7 लोगों की जान जा चुकी है.
एक तरफ कोरोना की मार और दूसरी तरफ भीषण गर्मी से डल झील में पानी ख़राब होने और खरपतवार के बढ़ने की भी खबर है. इससे झील में पानी के खराब होने की सम्भावना है और अगर मौसम में जल्दी बदलाव नहीं आया तो पानी के खराब होने की भी आशंका है. इस बात से झील में शिकारा चलने वाले भी परेशान है.
अब सब की नज़रें शनिवार और रविवार की तरफ इस उम्मीद से लगी हैं कि मौसम में बदलाव आयेगा और बारिश के आने से इस भीषण गर्मी से थोड़ी राहत मिलेगी.