Jalore Student Death Case Latest News: जालौर के सुराणा गांव के स्कूल में पढ़ने वाले छात्र इंद्र कुमार मेघवाल की मौत कैसे हुई, इसका पूरा सच जानने के लिए abp न्यूज ने सबसे पहले बच्चे के पिता से बात की और फिर घटना की पड़ताल करने स्कूल पहुंचा. पिता से जब पूछा गया कि 20 तारीख को बच्चा स्कूल में था, फिर क्या हुआ उसके बाद, कैसे आया आपके पास? इस सवाल के जवाब में छात्र इंद्र मेघवाल के पिता देवा राम मेघवाल ने बताया कि मटकी की ही बात थी. ये ठाकुर था, भोमिया ठाकुर...उसने थाप दी तो चोट लगी, डॉक्टर ने बताया हमें.
मटके की बात पक्की है न? इस सवाल पर पिता ने कहा कि गारंटी पूरी है, बात यही है. खाना तो वहीं रूम पर बनता है. वहां मटकी रहती है. मास्टर है तो मटकी रहेगी ही. बच्चों के आपसी झगड़े के सवाल पर पिता ने कहा कि नहीं ये गलत है, वीडियो है. जब पूछा गया कि वो किस वीडियो की बात कर रहे हैं तो पिता ने बताया कि लड़के का वीडियो है. लड़के ने बयान दिया है अस्पताल में. उन्होंने जोर देकर कहा कि ओरिजिनल बात मटके की ही है.
मटके की बात पर कायम पिता
इस पूरी बातचीत में बच्चे के पिता लगातार इस बात पर कायम रहे कि टीचर ने इसीलिए इंद्र मेघवाल को मारा, क्योंकि उसने मटके से पानी पिया था. उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि सिर्फ स्कूल में इस इलाके में दलितों के साथ भेदभाव होता है. यह जो बात आ रही है आप दलित हैं, दलित होने की वजह से पीने नहीं दिया. इस पर पिता ने कहा कि नहीं पीने दिया. अगर हम भी ठाकुर के घर जाते है तो ओक से पीना पड़ता है. वो कहते हैं इधर बर्तन पड़ा है, पानी पड़ा है. पानी भी नहीं पिलाते.
बच्चे के दादा-ताऊ ने लिए पैसे
एबीपी न्यूज की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने इस मामले की सच्चाई जानने के लिए गांव के दूसरे लोगों से भी बात की. इस दौरान एक वीडियो हमारे हाथ लगा, जिसमें बच्चे के दादा और ताऊ नजर आ रहे हैं. वीडियो उसी स्कूल का है, जहां वो घटना हुई. वीडियो में बच्चे के परिवार के लोग एक शख्स से पैसे लेते नजर रहे हैं. वीडियो में दिख रहा शख्स गांव का ही है, जिसने बच्चे के दादा को 50 हजार रुपए दिए.
इलाज के लिए पैसे की मांग
एबीपी न्यूज की पड़ताल में पता चला कि दरअसल बच्चे के पिता ने स्कूल से बच्चे के इलाज के लिए पैसे मांगे थे. गांव की पंचायत में डेढ़ लाख रुपए देने को लेकर सहमति बनी. इसी डेढ़ लाख की एक किस्त 50 हजार रुपए 22 जुलाई को और 1 लाख रुपए की दूसरी किस्त 23 जुलाई को इंद्र मेघवाल के पिता को दी गयी. एबीपी न्यूज के हिडेन कैमरे पर बच्चे के पिता ने पैसे मिलने की बात मानी. पिता देवा राम ने कहा कि मास्टर साहब ने डेढ़ लाख रुपए दिए थे इलाज वास्ते. कहा इलाज कराओ, ऑफ हो गया तो क्या करेंगे. अब सवाल है कि अगर बच्चे के परिवार के मुताबिट टीचर के मटके से पानी पीने के कारण उसे मारा गया तो फिर परिवार ने पैसे की डील क्यों की?
मटके को छूने की कहानी मनगढ़ंत
वहीं स्कूल के एक मास्टर अजमल राम का कहना है कि दलित बच्चे इंद्र के परिवार ने मामला खत्म करने के पैसे लिए. इतना ही नहीं उनका कहना है कि मटके को छूने पर थप्पड़ मारने की कहानी मनगढ़ंत है. मास्टर ने कहा कि उन्होंने पैसे मांगे. 5 लाख या तीन लाख रूपये मांगे थे छैल सिंह (आरोपी टीचर) से. फिर गांववालों ने बोला इतने तो होते नहीं हैं ऐसी कोई बात है भी नहीं. बात क्यों बढ़ा रहे हैं. तो गांव वालों ने उन्हें डेढ़ लाख रुपये दिलाए. जब पंचायती हुई थी तो 50 हजार रुपये दिलाए गए. दो दिन बाद बच्चे के दादा और अंकल आए और फिर एक लाख रूपये लेकर बोले कि अब हमारे और छैल सिंह के बीच में कुछ भी नहीं हैं. ये आजाद है. बोले अब हमें कोई भी शिकायत नहीं हैं .
सब एक ही टंकी से पानी पीते हैं
मटके वाली बात पर मास्टर अजमल राम ने कहा कि मटके वाली कोई बात नहीं. कह रहे थे कि थप्पड़ मारा इसीलिए पैसे लिए. अजमल राम ने कहा कि मटके वाली जो वीडियो है इंद्र का उसमें किसी ने मटके वाली बात जोड़ दी है. अजमल राम ने कहा कि सभी एक ही टंकी से पानी पीते हैं. अजमल राम ने कहा कि बोतल खाली होती है तो बच्चों से कहते है कि पानी भर ला. या बाहर से जाकर खुद पानी पी लेते हैं. टीचर अजमल राम का भी यही दावा है कि टीचर और बच्चे एक ही नल से पानी पीते हैं. सवाल ये है कि अगर मटके की कहानी नहीं है तो मासूम इंद्र को चोट कैसे लगी. आखिर उसकी मौत कैसे हुई.
मास्टर ने थप्पड़ क्यों मारा?
मास्टर अजमल राम से पूछा गया कि छैल राम मास्टर ने क्यों थप्पड़ मारा था? इस पर अजमल राम ने कहा कि लंच का समय हो रहा था और बच्चे लंच में जगह को लेकर लड़ रहे थे. बच्चे बता रहे हैं कि वो तो गुरु जी ने एक-एक थप्पड़ दोनों को मार दिया था. इंद्र के कान में पहले से चोट लगी थी.बच्चे भी बता रहे हैं पहले से कान में रुई डाल कर आता था. गांव वाले भी बता रहे है. मैंने तो बच्चे को देखा भी नहीं है.
क्या बच्चे के कान में था इन्फेक्शन
एबीपी न्यूज की छानबीन में सामने आया मास्टर छैल सिंह स्कूल में सम्मानित नाम है. सब उन्हें गुरुजी कह कर बुलाते हैं. इतना ही नहीं स्कूल में दो को छोड़कर बाकी टीचर एससी और एसटी समुदाय से ही आते हैं. करीब आधे छात्र भी एससी और एसटी समुदाय से आते हैं. मास्टर मामा भीम राम का दावा है कि छैल सिंह उसी स्कूल में बाकी टीचरों के साथ रहते थे और दलित टीचर के हाथ का बना खाना भी खाते. मास्टर मामा भीम राम से मामले का सच जाना तो उन्होनें भी बच्चे के कान में इनफेक्शन वाली बात कही.
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स्कूल में कोई मटका नहीं
मास्टर भीम राम ने भी इशारा किया कि स्कूल में कोई मटका नहीं और सभी बच्चों के लिए एक ही टंकी है. यानी कोई भेदभाव नहीं. टीचर भीम राम कहते हैं कि मैं तो कक्षा में था. बच्चे बता रहे हैं वो कान में रुई डाल कर आता था. मैंने तो देखा नहीं. वह कान में रुई डाल के आता था. कान में दिक्कत थी. डॉक्टर ने भी बताया है उसे कान में कीड़े लग गए थे और कल परसों एक और महिला है वो अपनी दुकान में नली के जरिए कीड़े निकालती है. वो भी बता रही थी.
कहां से आई भेदभाव की कहानी
भीम राम ने भी मटके की बात से इनकार करते हुए कहा कि पक्की बात है कि मटके नहीं थे. स्टाफ भी उसी टंकी से पानी पीते हैं. जो बच्चा इंद्र था वह भी उसी टंकी से पानी पीता था. उस दिन का जो यह मामला बता रहे हैं न कि वह घर गया रो पड़ा, उस दिन वह पूरे दिन स्कूल में था, पढ़ाई की उसके बाद घर गया. स्कूल में सब हैरान हैं. दलित टीचर हैरान हैं कि ये भेदभाव की कहानी कहां से उड़ा दी गई. एबीपी न्यज की पड़ताल में मटके से पानी पीने की थ्योरी फेल हो गई.
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