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इजरायली दूतावास के बाहर हुए बम धमाके के दो दिन बाद भी नहीं मिले ठोस सुराग

पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां इस मामले की जांच से जुड़े अहम तथ्यों को सार्वजनिक करने से बच रहे हैं क्योंकि ऐसा करने से कहीं न कहीं जांच प्रभावित हो सकती है और जो लोग इस पूरी वारदात में लिप्त हैं, वे भी सचेत हो सकते हैं.

नई दिल्ली: इजरायली दूतावास के नजदीक हुए बम धमाके के दो दिन बाद भी पुलिस को कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है. इस मामले की जांच न केवल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है बल्कि एनआईए, आईबी और अन्य जांच एजेंसियां भी जुटी हुई हैं. खुद भारत सरकार इस मामले की जांच को लेकर काफी गंभीर है और यही वजह भी है कि देश की सभी प्रमुख जांच एजेंसियों को इस मामले की जांच गंभीरता पूर्वक करने को कहा गया है.

पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां इस मामले की जांच से जुड़े अहम तथ्यों को सार्वजनिक करने से बच रहे हैं क्योंकि ऐसा करने से कहीं न कहीं जांच प्रभावित हो सकती है और जो लोग इस पूरी वारदात में लिप्त हैं, वे भी सचेत हो सकते हैं. भारतीय खुफिया एजेंसी यह भी दावा कर रही है कि पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने काफी दिन पहले ही इजराइली दूतावास पर हमले की आशंका जताते हुए इजरायली दूतावास की सुरक्षा बढ़ाने की बात कही थी.

क्राइम सीन को टेंट से किया गया कवर

एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर हुए बम धमाके के क्राइम सीन को दिल्ली पुलिस ने अब कैंट से कवर कर दिया है. सड़क के एक तरफ बम धमाका हुआ था, तो वहीं दूसरी तरफ खड़ी कारों के शीशे फूट गए थे. यही वजह है कि सड़क के दोनों ओर टेंट से क्राइम सीन को कवर किया गया है और फिर इस मार्ग को ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है जिससे कि क्राइम सीन पर जो एविडेंस बचे हैं, वे नष्ट न हो और यदि कोई भी जांच एजेंसी यहां पर आती है, तो यहां से सबूत जुटा सकें.

अभी तक जांच का नहीं निकला कोई निष्कर्ष

एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर 29 जनवरी की शाम लगभग 5 बजकर 5 मिनट पर बम धमाका हुआ था. धमाका इजरायली दूतावास के नजदीक हुआ था, जिसमें 3 कारों के शीशे फूट गए थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार भी हरकत में आ गई थी और गृह मंत्रालय में 29 की रात ही एक हाई लेवल बैठक भी बुलाई गई थी. मामले की एफआईआर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने दर्ज की थी. स्पेशल सेल तो जांच कर ही रही है, साथ ही एनआईए और आईबी भी जांच में जुटे थे. इतना ही नहीं, इजराइल के अधिकारी खुद अपने स्तर पर भी जांच में जुटे हैं, इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद भी जांच कर रही है क्योंकि अभी तक की जांच में धमाके का टारगेट इजरायल दूतावास था. इन सबके बावजूद तमाम जांच एजेंसियां किसी भी तरह के निष्कर्ष पर नहीं पहुंची हैं.

केस एनआईए को ट्रांसफर

इजराइली दूतावास के नजदीक में बम धमाके की जांच एनआईए को ट्रांसफर की जा रही है. स्पेशल सेल के अधिकारियों ने भी ऑफ रिकॉर्ड यह बात मानी है कि एनआईए को केस ट्रांसफर किए जाने की बात की जा रही है और बहुत संभव है कि सोमवार को सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी जाएंगी.

सीसीटीवी के फुटेज मिले, सुराग नहीं

दिल्ली पुलिस सूत्रों का कहना है कि एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर कई सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और पुलिस ने उन कैमरों के फुटेज भी हासिल किए हैं, लेकिन अभी तक कोई भी ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है. इजराइली दूतावास के बाहर भी कई सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन पुलिस सूत्र यह दावा करते हैं कि दूतावास के फुटेज अभी तक हासिल नहीं हुए हैं.

इजरायली दूतावास के नाम मिला लेटर

एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर हुए बम धमाके के नजदीक एक एनवेलप भी मिला था, जिस पर टू एंबेस्डर इजरायल एंबेसी लिखा था और उसके अंदर यह लिखा था कि यह धमाका एक ट्रेलर है. हम चाहें तो इससे भी बड़ा धमाका कर सकते हैं. तुम हमारे टारगेट पर हो. इस पत्र के मिलने के बाद जांच एजेंसियों ने काफी गंभीरता से जांच शुरू कर दी है. शुरुआत की बात करें तो जब यह धमाका हुआ था तो दिल्ली पुलिस के अधिकारी बार-बार यही कह रहे थे कि यह एक लो इंटेंसिटी बम धमाका है, जो किसी की शरारत लग रही है.

ईरान पर शक की सुई

स्पेशल सेल के सूत्रों का कहना है कि फिलहाल शक की सुई ईरान के आतंकी संगठनों पर जा रही है, क्योंकि वर्ष 2012 में इजरायली दूतावास की कार पर स्टिकी बम लगाकर धमाका किया गया था. उसमें भी ईरान के ही संगठन का नाम सामने आया था. इस बार भी ईरान के संगठन पर ही शक की सुई इसलिए घूम रही है, क्योंकि पिछले कुछ समय की बात करें तो ईरान के कुछ महत्वपूर्ण लोगों की हत्या की गई है, जिसके लिए ईरान इजराइल को जिम्मेदार ठहरा रहा है और जिस तरीके से जो पत्र मिला है, उससे भी कहीं न कहीं इशारा ईरान की ओर ही जा रहा है.

जैश उल हिन्द को लेकर भी जारी है जांच

बम धमाके के बाद टेलीग्राम एप पर जैश उल हिंद नाम से एक प्रोफाइल भी सामने आया है, जिसने इस धमाके की जिम्मेदारी ली है. हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस संगठन का नाम पहली बार सामने आया है. अभी तक इस बात का ही पता लगाया जा रहा है कि टेलीग्राम एप पर जो प्रोफाइल इस नाम से बनाया गया है, वह कहां से संचालित किया जा रहा है. देश के अंदर से या फिर किसी विदेशी धरती से. साथ ही यह भी पुख्ता जांच की जा रही है कि वाकई में इस तरीके का कोई संगठन अस्तित्व में है भी या नहीं.

मोबाइल डंप डेटा से भी जुटाए जा रहे हैं सुराग

पुलिस सूत्रों का कहना है कि एपीजे अब्दुल कलाम रोड के नजदीक लगे मोबाइल टॉवर से डंप डाटा भी कलेक्ट किया गया है. सटीक जानकारी मिल सके इसके लिए 4:45 से लेकर और 5:15 तक के बीच का डंप डाटा उठाया गया है, जिससे कि वही नंबर सामने आ सके जो वारदात के समय के आसपास वहां सक्रिय रहे हो.

एफएसएल रिपोर्ट

पुलिस सूत्रों का कहना है कि अभी तक यह जांच का विषय बना हुआ है कि इस धमाके में कौन से विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था. धमाके से स्पष्ट है कि यह एक लो इंटेंसिटी वाला विस्फोटक था. यही वजह भी है कि धमाके के बाद लगभग 50 से 60 फीट दूरी पर खड़े तीन गाड़ियों के शीशे क्षतिग्रस्त हुए. इसके अलावा बम का इंपेक्ट फ्रंट साइड की तरफ था. पुलिस सूत्रों का कहना है कि जिस तरीके से बम विस्फोट हुआ है और उसके छर्रे बाहर निकले हैं, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि बम तकनीकी तौर पर ज्यादा एडवांस नहीं था.

उसके छर्रे फ्रंट साइड की तरफ ज्यादा निकले हैं. अगर तकनीक का बेहतर इस्तेमाल किया गया होता तो बम का इंपेक्ट चारों तरफ होना चाहिए था. इसके अलावा शुरुआती जांच में कोई टाइमर डिवाइस का भी सुराग हाथ नहीं लगा है. एक आशंका यह भी जताई गई है कि अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया है. साथ ही बम के अंदर छर्रे के तौर पर साइकिल के बॉल बेयरिंग लगाए गए थे. कुल मिलाकर पुलिस सूत्रों का कहना है कि अभी तक यह माना जा रहा है कि बम ऐसी सामग्री के इस्तेमाल से बनाया गया है, जो लोकल मार्केट में आसानी से उपलब्ध है.

ईरानी नागरिकों की जानकारी भी जुटा रही है पुलिस

पुलिस का कहना है कि इस धमाके के बाद एफआरआरओ से उन ईरानी नागरिकों की जानकारी जुटाई गई है, जो पिछले 15 दिनों से लेकर 1 महीने के बीच में ईरान से भारत आए हैं. इसके अलावा 29 फरवरी को शाम के समय जाने वाली तीन अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट को भी रुकवा कर, उनके पैसेंजर की डिटेल्स वेरीफाई की गई है. ईरान के नागरिकों के अलावा पुलिस को शक है कि इस मामले में लोकल टूल के तौर पर ऐसे छात्रों का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, जो ईरान से पढ़कर आए हो. इस वजह से कुछ अफगानिस्तान के नागरिकों को भी शक के दायरे में रखा गया है. हालांकि पुलिस अभी तक जांच से जुड़े कोई भी ठोस तथ्य सामने नहीं रखी है क्योंकि ऐसा करने से जांच प्रभावित हो सकती है.

यह भी पढ़ें: इजरायली दूतावास के बाहर बम धमाका, भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा की घड़ी

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