नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी तरह का दबाव या हड़ताल देश में अवैध बूचड़खानों को बंद होने से नहीं बचा सकता. तृणमूल कांग्रेस के सदस्य नदीमुल हक द्वारा राज्यसभा में अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई का मुद्दा उठाने पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री नकवी ने कहा, "यह वैधता और अवैधता (बूचड़खाना) का मामला है. अवैध बूचड़खाने न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक हैं."


दबाव या हड़ताल अवैध बूचड़खानों को बंद होने से नहीं रोक सकता: नकवी


नकवी ने कहा, "किसी भी तरह का दबाव या हड़ताल इन अवैध बूचड़खानों को बंद होने से नहीं रोक सकता." उत्तर प्रदेश में मांस कारोबारियों द्वारा जारी विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर इस मुद्दे को शून्यकाल के दौरान उठाया गया. उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध बूचड़खानों को बंद कराने की एक मुहिम शुरू की है. अन्य राज्य भी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं.


लोग क्या खाना चाहते हैं इस पर सरकार का हुक्म नहीं चलेगा: तृणमूल कांग्रेस


बूचड़खानों और मांस की दुकानों पर मनमाने तरीके से कार्रवाई का मुद्दा उठाते हुए नदीमुल हक ने कहा कि लोग क्या खाना चाहते हैं, इस पर सरकार का हुक्म नहीं चलेगा. उन्होंने कहा, "केवल उत्तर प्रदेश में ही कसाइयों और मांस की दुकानों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा, बल्कि झारखंड और अन्य राज्यों में भी ऐसा हो रहा है. करोड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है. जिसके बाद ये लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं, जिसके कारण मांस की कमी हो गई है."


चमड़ा उद्योग और होटल भी हो रहे हैं प्रभावित: तृणमूल कांग्रेस


तृणमूल कांग्रेस ने नेता ने कहा कि इसके कारण चमड़ा का उद्योग और होटल भी प्रभावित हो रहे हैं. नदीमुल हक ने कहा, "आज की तारीख में उत्तर प्रदेश के विकास दर में इसकी हिस्सेदारी का 14 फीसदी दांव पर लगा है." उन्होंने कहा, "लोगों को क्या खाना चाहिए, इस पर सरकार के तानाशाही रवैये से उनकी पसंद का अधिकार छीना जा रहा है तथा यह उनके मानवाधिकार का अपमान है. लोग किस तरह जिएंगे और वे क्या खाएंगे, इस पर सरकार को हुक्म जारी नहीं करना चाहिए."